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जीवन जीने के लिए लड़े जाने वाले अंतहीन युद्ध को समर्पित है पुस्तक “यही सफलता साधो”

आशीष तिवारी “निर्मल”
रीवा मध्यप्रदेश
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पुस्तक का नाम – यही सफलता साधो
रचनाकार – कवि संदीप द्विवेदी
प्रकाशक – ब्ल्यूरोज़
संस्करण – प्रथम (मार्च २०२१)
कीमत – १६० रूपये
समीक्षक – आशीष तिवारी निर्मल

अपने दौर को तो सभी साहित्यकार अपनी कलम के माध्यम से दर्ज करने का सफल प्रयास करते हैं, लेकिन ऐसे चंद ही रचनाकार होते हैं, जिन्हें उनका दौर इतिहास में उनके प्रभावी लेखन के कारण कुछ ख़ास तरह से दर्ज करता है। जी हाँ! मै आज एक ऐसे ही उर्जावान रचनाकार और उनकी रचनात्मकता की चर्चा करने जा रहा हूँ, जो अपने सुघड़ लेखन के कारण हिन्दुस्तान और हिन्दुस्तान के बाहर सुने जाते हैं और पढ़े जाते हैं। कवि श्री संदीप द्विवेदी देश के उन युवा रचनाकारों की श्रेणी में आते हैं जो किसी भी पाठक या श्रोता के हृदय में सदैव सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। कवि संदीप द्वारा विरचित काव्य कृति “यही सफलता साधो” प्राप्त हुई। पुस्तक के मुख्य आवरण पर कवि के स्वंय के मुस्कुराते हुए चेहरे की तस्वीर छपी है जिसे देखकर ही पाठक के मन में एक सकारात्मक उर्जा का संचार महसूस होता है। ‘यही सफलता साधो’ नामक यह अनुपम कृति उन पाठकों के लिए तो बिलकुल ही नही है जिन्हें सरल शब्दों में लिखी गंभीर रचनाओं से परहेज है, जिनके लिए पुस्तक पढ़ने का सीधा मतलब अपनी आत्मा को अपने विचारों को विस्तार देने से ज्यादा थकी-हारी इन्द्रियों को आराम देना या सेंकना भर है। यह पुस्तक उनके लिए भी कदापि नही है जो संघर्षों से घबराते हैं और घोंघे की तरह अपने खोलों में दुबके रहने के आदी हो चुके हैं। प्रस्तुत कृति की पहली रचना “यदि राम सा संघर्ष हो बोलो, कहाँ तक टिक सकोगे तुम” ही मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जी के संघर्षमयी जीवन के प्रत्येक पहलू को समेटे हुए बड़े ही सलीके से रचनाकार द्वारा लिखी गई है जो मानव को संघर्षों से डरने नही अपितु डटकर मुकाबला करने की प्रेरणा देती है। समाज में रहने वाले निम्न वर्गीय आदमी के जीवन का कुल योगफल अनंत भूख, बुनियादी सुविधाओं का लगातार इंतजार, बेसमय साध्य बिमारियों से होती मौंतें! वहीं बहुत से लोगों के जीवन में बहुत कुछ घटनाक्रम ऐसे भी होते हैं जिससे इंसान को लगने लगता है कि वह दुनिया का सबसे गैरजरूरी व्यक्ति है। जीवन में जब खास चीजें सपने सी प्रतीत होने लगती हैं क्योंकि वहां आम चीजों को पाने में ही सारी ऊर्जा निचुड़ जाती है। कवि संदीप द्विवेदी का यह काव्य संग्रह बेहद से बेहद मामूली आदमी के जीवन, उसके संघर्ष और जीवन जीने के लिए लड़े जाने वाले अंतहीन युद्ध को समर्पित है। रचनाकार द्वारा आम और मामूली लोगों के लिए बेहद प्रेरणास्पद खास कविताएं लिखी गई हैं जो अपने मर्म से अंतस् तक छूती हैं। कृति यही सफलता साधो की अधिकतम रचना पाठक के अंदर अपार सकारात्मक ऊर्जा का संचार कराने में सौ प्रतिशत सफल है। ज्यादातर कविताएं पाठकों की थकान उतारकर मीठा सा मुस्कुराने को प्रेरित करती है। कवि संदीप द्वारा लिखी कविताएं अलग-अलग रस और रंगों से भरी हैं, इन्द्रधनुषी कविताओं का यह संग्रह बहुत भीतर तक छूता है आनंदित करता है। सभी कविताएं समूची मानव जाति को जीवन में कभी संघर्षों से नही घबराने की प्रेरणा देती हैं। यह काव्य संग्रह युवाओं को भी ध्यान में रखकर तैयार किया गया है जिसमें कुछ रचना प्रेम मनुहार मिजाज की सम्मिलित की गई हैं। आशा करता हूं कवि संदीप द्विवेदी जी की निकट भविष्य में पुन: कोई नया काव्य संग्रह पाठकों के हाथ में होगा जो आमजन को समाज को देश को साहित्य को नई दिशा,दशा देने में सक्षम होगा ।
अनंत शुभकामनाओं सहित।

परिचय :- आशीष तिवारी निर्मल का जन्म मध्य प्रदेश के रीवा जिले के लालगांव कस्बे में सितंबर १९९० में हुआ। बचपन से ही ठहाके लगवा देने की सरल शैली व हिंदी और लोकभाषा बघेली पर लेखन करने की प्रबल इच्छाशक्ति ने आपको अल्प समय में ही कवि सम्मेलन मंच, आकाशवाणी, पत्र-पत्रिका व दूरदर्शन तक पहुँचा दीया। कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित युवा कवि आशीष तिवारी निर्मल वर्तमान समय में कवि सम्मेलन मंचों व लेखन में बेहद सक्रिय हैं, अपनी हास्य एवं व्यंग्य लेखन की वजह से लोकप्रिय हुए युवा कवि आशीष तिवारी निर्मल की रचनाओं में समाजिक विसंगतियों के साथ ही मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण, भारतीय ग्राम्य जीवन की झलक भी स्पष्ट झलकती है, इनकी रचनाओं का प्रकाशन एवं प्रसारण विविध पत्र-पत्रिकाओं एवं दूरदर्शन-आकाशवाणी के विविध केंद्रों से निरंतर हो रहा है। वर्तमान समय पर हिंदी और बघेली के प्रचार-प्रसार में जुटे हुए हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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