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३७० का हटना

अखिलेश राव
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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राष्ट्र विजय पर राष्ट्रद्रोहियों का जहर
रास नहीं आया घाटी का शांतिपूर्ण पहर
बस करो देश के जयचंदो और गद्दारों
कश्मीरी पंडित लौट रहे हैं अपने गांव शहर।।

भूल गए ९० में हिंदू का खून बहाया था
आशियाना छीन लिया मार मार भगाया था
तब तो तुम सबके मुंह पर चुप्पी छायी थी
तत्कालीन सरकार ने भी कहर ढाया था
काश्मीर की क्यारी में क्यों बो रहे जहर
रास नहीं आया घाटी का शांतिपूर्ण पहर।।

वातावरण भाईचारे का हरपल तुम्हें खटकता है
जिन्ना की औलादों सीने में पाकिस्तान धड़कता है
दशकों में खुशियां लौटी है मिलजुल अब मौज करो
धारा ३७० का हटना अब भी तुमको खलता है
डलझील में उठने लगी है प्रेम की लहर
कश्मीरी पंडित लौट रहे हैं अपने गांव शहर।।

परिचय :- अखिलेश राव
सम्प्रति : सहायक प्राध्यापक हिंदी साहित्य देवी अहिल्या कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय इंदौर
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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