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करते करते क़िस्सागोई

नवीन माथुर पंचोली
अमझेरा धार म.प्र.
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करते करते क़िस्सागोई।
हमनें सच्ची बात डुबोई।

मन ने धीरज रख्खा लेक़िन,
आँख हमारी झर-झर रोई।

जाग रहे थे हम ही तन्हा,
जब थी सारी दुनियाँ सोई।

आज वही हम काट रहें हैं,
फ़सल वही जो हमनें बोई।

भूल गए अब वो ही हमको,
हमने जिनकी याद सँजोई।

कान सुनी या आँखों देखी,
बात हमारी माने कोई।

परिचय :- नवीन माथुर पंचोली
निवास – अमझेरा धार म.प्र.
सम्प्रति – शिक्षक
प्रकाशन – देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित।
सम्मान – साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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