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नष्ट ये जंगल ना हो पाए

अर्चना अनुपम
जबलपुर मध्यप्रदेश
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कहीं अमंगल ना हो जाए।
नष्ट ये जंगल ना हो जाए।।

बादल को तोड़ेगा कौन?
कहो नदी मोड़ेगा कौन?
माटी को रोकेगा कौन?
गरल वायु सोखेगा कौन?
उज्जर त्रिभुवन ना हो जाए
उपवन ‘अनुपम’ ना खो जाए;
कहीं अमंगल ना हो जाए।
नष्ट ये जंगल ना हो पाए।।
(त्रिभुवन-जल,थल,नभ)

रौंद-खौन्द खोखली धरा का
गर्भ-पात जो कर जाओगे?
हो भूचाल उजाड़े आँगन
कोप अवनि का सह पाओगे?
ताप बढ़ा हिम पिघलाओगे
अति मति की दिखलाओगे!
प्रलय समन्दर ना हो जाए;
कहीं अमंगल ना हो जाए।
नष्ट ये जंगल ना हो पाए।।

मृग-खग, सिंह-गज गृह निवास
जो यूँ टुकड़ों में बाँटोगे,
हरियाली ही नहीं रही तो!
बन्धु ‘हीरा’ चाटोगे?
भूख का दंगल ना हो जाए;
कहीं अमंगल ना हो जाए।
नष्ट ये जंगल ना हो पाए।।

पानी को बाँधेगा कौन?
कंठो को साधेगा कौन?
स्वास संचरित कौन करेगा?
खनिज तुम्हारा पेट भरेगा?
सुधा गरलमय ना हो जाए;
कहीं अमंगल ना हो जाए।
नष्ट ये जंगल ना हो पाए।।

पक्षी की गुँजन बोलो
कांधो पर किसके इठलाएगी?
वर्षा की पावन बूँदें
आँचल में किनके बलखाऐंगी?
विकट व्याधि जो घात लगाए!
औषध देह कहाँ पाएगी?
अंत निरन्तर ना हो जाए;
कहीं अमंगल ना हो जाए।
नष्ट ये जंगल ना हो पाए।।

वृक्ष ही नियति जीव मात्र की
छोड़ चमन पतझड़ चुनते हो,
रेशम के नित त्याग गलीचे
सर्पों से चादर बुनते हो;
जो बुद्धि यूँ ही विनाश के
द्वार मनुज को ले जाएगी,
जीवन का अमृत खोएगा
गीत प्रकृति क्या गायेगी?
दृश्य विहंगम ना हो जाए;
कहीं अमंगल ना हो जाए।
नष्ट ये जंगल ना हो पाए।।

परिचय :- अर्चना पाण्डेय गौतम
साहित्यिक उपनाम – अर्चना अनुपम
मूल निवासी – जिला कटनी, मध्य प्रदेश
वर्तमान निवास – जबलपुर मध्यप्रदेश
पद – स.उ.नि.(अ),
पदस्थ – पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय जबलपुर जोन जबलपुर, मध्य प्रदेश
शिक्षा – समाजशास्त्र विषय से स्नात्कोत्तर
सम्मान – जे.एम.डी. पब्लिकेशन द्वारा काव्य स्मृति सम्मान, विश्व हिन्दी लेखिका मंच द्वारा नारी चेतना की आवाज, श्रेष्ठ कवियित्री सम्मान, लक्ष्मी बाई मेमोरियल अवार्ड, एक्सीलेंट लेडी अवार्ड, विश्व हिन्दी रचनाकार मंच द्वारा – अटल काव्य स्मृति सम्मान, शहीद रत्न सम्मान, मोमसप्रेस्सो हिन्दी लेखक सम्मान २०१९..
विधा – गद्य पद्य दोनों..
पुरस्कार : १४ सितम्बर २०२० हिन्दी दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच (hindirakshak.com) इंदौर मध्य प्रदेश द्वारा अखिल भारतीय कविता सृजन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त।

भाषा – संस्कृत, हिन्दी भाषा की बुन्देली, बघेली, बृज, अवधि, भोजपुरी में समस्त रस-छंद अलंकार, नज़्म एवं ग़ज़ल हेतु उर्दू फ़ारसी भाषा के शब्द संयोजन।
विशेष – स्वरचित रचना विचारों हेतु विभाग उत्तरदायी नहीँ है.. इनका संबंध स्वउपजित एवं व्यक्तिगत है।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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