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ऐसा क्यों?

ओमप्रकाश श्रीवास्तव ‘ओम’
तिलसहरी (कानपुर नगर)
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नये जमाने में कितना आगे हम आ गए,
दिल के भाव सोसल मीडिया में समा गए।

आज हम सबका दिवस मनाने लगे,
फेसबुक व्हाट्सएप में भाव जताने लगे।
मातृ दिवस व पित्र दिवस खूब मनाते हैं,
पटलों में श्रद्धा भावो की गंगा बहाते हैं।

नये जमाने में कितना आगे हम आ गए,
दिल के भाव सोसल मीडिया में समा गए।

जो निशदिन सम्मान करते माता का,
सच वही श्रद्धा से मातृ दिवस मनाते हैं।
जो माता को एक रोटी देने से बचता,
वह झूठ मूठ श्रवण बन पटल सजाते हैं।

नये जमाने में कितना आगे हम आ गए,
दिल के भाव सोसल मीडिया में समा गए।

पर्यावरण, पृथ्वी, जल दिवस खूब मनाते हैं,
बड़े-बड़े काव्य और आलेख लिख जाते हैं,
पर सोचो क्या हम वर्ष में एक पेड़ लगाते हैं,
उपदेश तो देते पर स्वयं ही पीछे रह जाते हैं।

नये जमाने में कितना आगे हम आगए,
दिल के भाव सोसल मीडिया में समा गए।

कहता ओम सत्य को स्वीकार करो तुम,
आधुनिकता में हम अपनों से दूर होते जाते हैं,
जिस का सम्मान करते हो तुम निशदिन,
तो उसके लिए एक ही दिवस क्यों मनाते हो?

नये जमाने में कितना आगे हम आगए,
दिल के भाव सोसल मीडिया में समा गए।

परिचय :- ओमप्रकाश श्रीवास्तव ‘ओम’
जन्मतिथि : ०६/०२/१९८१
शिक्षा : परास्नातक
पिता : श्री अश्वनी कुमार श्रीवास्तव
माता : श्रीमती वेदवती श्रीवास्तव
निवासी : तिलसहरी कानपुर नगर
संप्रति : शिक्षक
विशेष : अध्यक्ष राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय बदलाव मंच उत्तरीभारत इकाई, रा.उपाध्यक्ष, क्रांतिवीर मंच, रा. उपाध्यक्ष प्रभु पग धूल पटल, रा.मीडिया प्रभारी-शारदे काव्य संगम, प्रभारी हिंददेश उत्तरप्रदेश इकाई
साहित्यिक गतिविधियां : विभिन्न विधाओं की रचनाएं कहानियां, लघुकथाएं, हाइकू, कविताएं, लेख, आदि १०० से अधिक स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। ५ साझा संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित, अनेक पत्र पत्रिकाओं, ई-बुक, काव्य संकलनों व पत्र पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल्स, ब्लॉगस, बेवसाइटस में रचनाओं का प्रकाशन जारी। अब तक ३०० से अधिक रचनाओं का प्रकाशन, सतत जारी।
सम्मान : विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा ३०० से अधिक सम्मान पत्र।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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