रूपेश कुमार
चैनपुर, सीवान (बिहार)
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जहाँ कभी पुष्प वाटिका हुआ करती थी,
वहाँ आज लाशों का अंबार लगा हुआ है ,
जो जमीन कभी सोने की चिड़िया होती थी,
वहाँ आज लाशों का विछावन बिछा है ,
जो कभी विश्व का भाग्य विधाता हुआ करता था,
वो आज भिखारी बना घुमाता है,
जहाँ कभी मंदिरो मे मेले लगते थे,
आज वहाँ शमशानों पर मेले लगते है,
जहाँ कभी सभी धर्मो का सम्मान हुआ करता था,
आज वहाँ धार्मिक कट्टरता हुआ करती है,
जो कभी साधु-संतों की नगरी हुआ करती थी,
आज वहाँ आज बाजार बना बैठा है,
जहाँ कभी ईमानदारी की आवाजें गूँजती थी,
आज वहाँ बेईमानों का अड्डा हुआ करता है,
जहाँ के ज्ञान व विज्ञान की कभी विश्व पूजा करता था,
आज वहा अज्ञानता का पर्याय बना बैठा है,
जहाँ कभी दानी ज्ञानी महाराजाओं का राज हुआ करता था,
आज वहाँ अनपढ़ बेईमानों का राज हुआ करता है,
जहाँ कभी शिक्षित-विद्वान ही गुरु हुआ करते थे,
आज वहाँ चोरी के नम्बरों पर शिक्षक ज्ञानदाता बन बैठे है,
जहाँ कभी सत्य और अहिंसा की पूजा होती थी,
आज वहाँ असत्य और हिंसा का बोलबाला हुआ करता है,
जहाँ कभी राम, रहीम, बुद्ध, गाँधी आजाद का आदर होता था,
वहाँ आज हिंसावादी नेताओं, आतंकवादियों की पूजा होती है,
जहाँ की मिट्टी मे सिर्फ शांति का वास था,
वहाँ की अब मिट्टी में खून, अशांति का घर है,
जहाँ कभी स्त्रियों को देवी का रुप माना जता था,
वहाँ अब स्त्रियों पर अत्यचार, हिंसा हुआ करता है,
जहाँ सुकून भरी ठंडी हवाएँ गुजरती थीं खूबसूरत वादियों से,
आज वहाँ साँस लेना दुष्कर है,
जहाँ कभी सूरज की पहली रोशनी से सवेरा होता था,
वहाँ आज सूरज की अंतिम रोशनी से सवेरा होता है,
जहाँ कभी नेताओं के सिर पर खादी की टोपी होती थी,
वहाँ आज नेताओं के सिर पर भ्रष्टाचार की टोपी है,
जहाँ पर कभी नदियाँ माँ सम मानी जाती थीं,
आज उनमें लाशों की नावें चल रही है,
भारत जो कभी विश्व मे ज्ञान का सागर कहा जाता था,
वही भारत आज अज्ञानी कहा जाता है,
जहाँ कभी यमुना, गंगा , सरस्वती की आरती होती थी,
आज वहाँ लाशों की आहुतियां होती है,
जिस भारत को कभी जगत का बगीचा कहा जाता था,
आज वहाँ ऑक्सिजन की कमी हो गई है,
ऐसा क्यों ?
यह जो आज का भारत है, ऐसा क्यों है?
जाग्रत हो हे भारतवासी……!
परिचय :- रूपेश कुमार
शिक्षा : स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डिप्लोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी !
निवास : चैनपुर, सीवान बिहार
सचिव : राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान
प्रकाशित पुस्तक : मेरी कलम रो रही है
सम्मान : कुछ सहित्यिक संस्थान से सम्मान प्राप्त !
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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