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अँधेरे में दिखते सितारे हमेशा

अब्दुल हमीद इदरीसी
मीरपुर, कैण्ट, (कानपुर)

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ख़ुदा की रज़ा पर जो चलते नहीं हैं।
कभी भाग्य उनके संवरते नहीं है।

अँधेरे में दिखते सितारे हमेशा,
उजाले में हरगिज़ निकलते नहीं हैं।

उन्हीं को मिला करते नायाब मोती,
किनारे किनारे जो चलते नहीं हैं।

नहीं जीत सकते मुकम्मल वो बाज़ी,
समर में जो पूरा उतरते नहीं हैं।

नसीबों में आती नहीं हैं बहारें,
समय के मुताबिक जो चलते नहीं हैं।

उन्हें हर घड़ी रहता गिरने का खतरा,
क़दम दर क़दम जो सम्भलते नहीं हैं।

कोई मानता ही नहीं उनका कहना,
खरे बात पर जो उतरते नहीं हैं।

समय का जो उपयोग करते हैं अच्छा,
कभी हाथ अपने वो मलते नहीं हैं।

परिचय :- अब्दुल हमीद इदरीसी 
निवास – मीरपुर, कैण्ट, (कानपुर)
साहित्यिक नाम : हमीद कानपुरी
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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