Friday, November 22राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

जीवन चक्र

संजय जैन
मुंबई (महाराष्ट्र)
********************

विधाता ने श्रृष्टि बनाई
और उसके नियम बनाये।
जिन्हें पृथ्वीवासियों को
मानना सबका कर्तव्य है।
अब हम माने या न माने
ये सब पर निर्भर करता है।
क्योंकि विधाता ने तो
सब कुछ आपको दिया।।

भावनाओं से ही भाव बनतें है।
भावों से ही भावनाएं चलती हैं।
जीवन चक्र यूँ ही चलता रहता है।
बस दिलमें आस्थायें बनाये रखो।।

जीवन बहुत अनमोल है।
हर पल को जीना जरूरी है।
मूल सिध्दांत ये कहता है।
खुद जीओ औरों को जीने दो।।

स्नेह प्यार से मिलाकर रहो।
ऐसी वैसी बाते मत बोलो।
जिससे पीड़ा हो दोनों को।
मधुर वाणी से मुंह खोलो।।

हमने जितना समझ है
बस उतना ही लिखा।
बाकी पाठकों पर छोड़ दिया।
अब इसे सराहे या ठुकरायें।
इस कविता का भविष्य
आपके हाथ में हैं।
हमें अपनी प्रतिक्रिया
आप जरूर ही दें।
ताकि आगे भी मैं
और लिखा सकू।।

ये ही सुख शांति का
एक मात्र महामंत्र है।
जो भी जीवन में
इसे अपनाता है।
उसका पूरी जिंदगी
महक जाती है।
इसलिए संजय ये संदेश
आपको दे रहा है।।

परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ-साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें….🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *