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हुस्न देखा तेरा

रजनी गुप्ता ‘पूनम चंद्रिका’
लखनऊ
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बहर – २१२ २१२ २१२ २१२

हुस्न देखा तेरा तो ठगा रह गया
चाँद अपनी जगह पर खड़ा रह गया

क़ह्र अँगड़ाइयाँ ख़ूब ढाती रहीं
पास मेरे न कुछ भी बचा रह गया

ज़ुल्फ़ तेरी घटा बन गई रात को
दिल का आँगन यहाँ भीगता रह गया

गिरह
अनकही सी अधर ने कही बात जब
आपको देखकर देखता रह गया

कर रही आँख से जो इशारे सनम
मैं तो तेरी अदा पर लुटा रह गया

खिल रही है ये ‘रजनी’ सितारे लिए
आसमां का भी दामन भरा रह गया

परिचय : रजनी गुप्ता ‘पूनम चंद्रिका’
उपनाम :- ‘चंद्रिका’
पिता :- श्री रामचंद्र गुप्ता
माता – श्रीमती रामदुलारी गुप्ता
पति :- श्री संजय गुप्ता
जन्मतिथि व निवास स्थान :- १६ जुलाई १९६७, तहज़ीब व नवाबों का शहर लखनऊ की सरज़मीं
शिक्षा :- एम.ए.- (राजनीति शास्त्र) बीएड
व्यवसाय :- गृहणी
प्रकाशन :- राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर म.प्र. के  hindirakshak.com पर रचना प्रकाशन के साथ ही कतिपय पत्रिकाओं में कुछ रचनाओं का प्रकाशन हुआ है
सम्मान :- समूहों द्वारा विजेता घोषित किया जाता रहा है। दो बार नागरिक अभिनंदन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। मंचों पर काव्य-पाठ व लघुकथा का पाठन करती रहती हूँ। सांस्कृतिक एवं सामाजिक योगदान हेतु सम्मान-पत्र प्रदान किया गया है। विद्यालय के समय भी अनेक पुरस्कार मिले हैं।
रचना की विधा :- अधिकतर दोहा सृजन, छंदमुक्त कविताएँ, मुक्तक, दोहा, गजल, छंद, हाइकु दोहा, गीत, गीतिका, लघुकथा, संस्मरण आदि….
घोषणा पत्र :- मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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