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जग की कल्याणी

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू
बालोद (छत्तीसगढ़)
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शिशु को नौ मास देह में रखकर
गर्भ में ही पोषण आहार कराती है ।
जनम देकर इस जगत् में तूम
उस दिन से ही तू माॅ कहलाती है ।।

नहलाना धुलाना और संवारना
लाड प्यार से आगे बढ़ाती है ।
बोलना चलना और सिखाकर
बड़े ही स्नेह से बात मनवाती है।।
जनम देकर इस जगत् …………..

जब बड़ा हुआ उम्र पढ़ने का
एक-एक अक्षर ज्ञान कराती है ।
खुशमिज़ाज खुशहाल होकर
अपना संपूर्ण कर्तव्य निभाती है ।।
जनम देकर इस जगत् …………..

पढ़ा लिखा गुणवान बनाकर
महापुरुषों का दर्शन बताती है ।
नारी जग का कल्याणी तू माॅ
मातृ शक्ति का पाठ पढ़ाती है ।।
जनम देकर इस जगत् …………..

शारीरिक मानसिक व चारित्रिक
और सर्वांगिण विकास कराती है ।
परिवार ही समाज का प्रथम शाला
पहला गुरू यह माॅ बतलाती है।।
जनम देकर इस जगत् …………..

सत्-असत् मार्ग परख कर
सत्य-पथ पर चलना सिखाती है ।
सूख-दुख का राह बता कर
जीवन की कला सिखलाती है।।
जनम देकर इस जगत् …………..

संस्कारों का बीज रोपण कर
पुरुषार्थ का सबक सिखाती है ।
तू जग कल्याणी पालनहारी
अपना दिव्य रूप परखाती है ।।
जनम देकर इस जगत् …………..

रामायण गीता कुराण या बाइबिल
धर्मग्रंथों का सार बतलाती है ।
मानवता का पाठ पढ़ाकर
इंसानियत की गीत सुनाती है ।।
जनम देकर इस जगत् …………..

काम क्रोध लोभ द्वेष अवगुणों को
और आसुरी लक्षण बतलाती है ।
संतोष शील धीरज दया धरम
दिव्य गुणों की ज्योति जलाती है ।।
जनम देकर इस जगत् …………..

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते……..
यह नारी गुणगान कराती है ।
दुर्गा काली सरस्वती या लक्ष्मी
देवी रूप तपस्विनी बन जाती है ।।
जनम देकर इस जगत् …………..

*श्रवण* कहत है नारी की महिमा
घर-घर को पावन बनाती है ।
*हे नारी तू जग की कल्याणी*
सकल जगत जननी कहलाती है ।।
जनम देकर इस जगत् …………..

शिशु को नौ मास देह में रखकर
गर्भ में ही पोषण आहार कराती है।
जनम देकर इस जगत् में तूम
उस दिन से ही तू माॅ कहलाती है ।।

परिचय :- धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू
निवासी : भानपुरी, वि.खं. – गुरूर, पोस्ट- धनेली, जिला- बालोद छत्तीसगढ़
कार्यक्षेत्र : शिक्षक
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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