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जमीं पर फिर कहीं अब

नवीन माथुर पंचोली
अमझेरा धार म.प्र.
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जमीं पर फिर कहीं अब आसमान उतरेगा।
मुसीबत में कहीं वो मेहरबान उतरेगा।

न कुछ कहना जरूरी, न कुछ सुनना जरूरी।
दिलों के रास्ते वो बेजुबान उतरेगा।

इबादत और दुआएँ, असर अपना करेगी,
कहीं पर राम-यीशु, रेहमान उतरेगा।

रहे महफ़ूज जिसमें, सभी हम लोग सारे,
वो लेकर साथ अपने घर-मकान उतरेगा।

फ़िकर उसको वहाँ है, यहाँ भर के सभी की,
वो लेकर और थोड़ा इम्तिहान उतरेगा।

दिया उसने कभी कुछ जो है अपना-हमारा,
कहाँ हमसे कभी वो एहसान उतरेगा।

परिचय :- नवीन माथुर पंचोली
निवास – अमझेरा धार म.प्र.
सम्प्रति – शिक्षक
प्रकाशन – देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित।
सम्मान – साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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