Friday, November 22राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

हाँ मै मजदूर हूँ…

रीमा ठाकुर
झाबुआ (मध्यप्रदेश)
********************

मै मजदूर हूँ, हाँ मै मजदूर हूँ’
लडता हूँ खुद से डटां रहता हूँ,
भरी दुपहरी मे, कोई भी मौसम हो,
सह लेता हूँ खुद पर, क्योंकि मै मजदूर हूँ!

तोड देती है, मुझे सत्ता की लड़ाई,
टूट जाता हूँ, जब इस्तेमाल होता हूँ,
मै बेबस, मजबूर हूँ, जी हाँ मै मजदूर हूँ!
झेल लेता हूँ सिकन, पसीने की बूदें,
सिर पर भारी जबाबदारी की गठरी.
बदलती है, सत्ता की शर्तें,
पर मै बदलता नहीं, मै मजदूर हूँ हां मै मजदूर हूँ!

खुश होता हूँ, जब कमाता हूँ चंद सिक्के,
रोटियाँ नजर आती है उन सिक्को मे,
बच्चे तकते है रास्ता मेरा,
उनके लिए भरपूर हूँ, जी हाँ मै मजदूर हूँ!

हाथ कंगन को अरसी क्या, खूबियो मे
बेमिसाल हूँ, मै. बोझ ढोता हूँ जमाने के,
पर खुद के लिए लाचार हूँ मै,
रोज बनाता हूँ सपनो के पूल
‘जिस पर गुजरता हूँ हर शाम हूँ मै,
कैसे बताऊँ अबिराम हूँ बस खुद का जी लेता हूँ,
खुद मै थोड़ा, मगरूर हूँ मै जी हाँ
मजदूर हूँ मैं, हाँ मजदूर हूँ मै ….!!

परिचय :- रीमा महेंद्र सिंह ठाकुर
निवासी : झाबुआ (मध्यप्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें….🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *