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है समय बड़ा अनमोल

ममता श्रवण अग्रवाल (अपराजिता)
धवारी सतना (मध्य प्रदेश)
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आंक सके तो आंक ले बन्दे,
है समय बड़ा अनमोल।
तय सांसे बस तुझे मिली हैं,
अब तोल तोल तू बोल।।

कितना जीवन व्यर्थ गंवाया,
खाने, पीने और सोने में।
औ, कितनी सांसे व्यर्थ गंवाई,
बतियाने और रोने में।

क्या तनिक बैठकर सोचा तूने,
मिला है क्यों यह मानव तन।
कुछ तो होगा उद्देश्य तेरा,
क्या मोह भरा बस अपनापन।।

अपने बच्चों का पालन तो,
कर लेते हैं मूक पशु भी।
पर क्या तू उनसे श्रेष्ठ नही,
यह बात समझ न पाया अब भी।।

अरे! तुझको है पाना परम् तत्व को,
जो बसा है तुझमें चेतन रूप।
और दया भाव की ऊष्मा से
सबमे पाना वही स्वरूप।।

जब ऐसे होंगे भाव तेरे,
तब सिद्ध हो जीवन का मोल।
फिर पल पल लगें तुझे कीमती,
तब तू समझे समय का मोल

परिचय :- ममता श्रवण अग्रवाल (अपराजिता)
निवासी – धवारी सतना (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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