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अगर दिल में मेरे

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’
जौनपुर (उत्तर प्रदेश)
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अगर दिल में मेरे चाहत का पारावार न होता
मिलन का आप से सपना कभी साकार न होता
हमें एक सूत्र में चुन चुन पिरोती भावनायें हैं
वरन् उल्लास से पूरित कभी संसार न होता

अभी भी जाति भाषा में उलझ जाती है ये दुनिया
मज़हबी आग में रह रह धधक जाती है ये दुनिया
अगर अनुचित उचित में फ़र्क़ हम सीखे हुए होते
कोई शातिर हमारे शहर का सरदार न होता

ज़माने को चराने की कभी जुर्रत नहीं करना
छकाने के लिए उसको कोई हिकमत नही करना
तुम्हें ये रौब रुतबा सम्पदा मुमकिन नहीं होती
दुवाओं का तुम्हारे पास यदि भण्डार न होता

अगर तुम आदमी हो आदमी सा काम भी करना
किसी का दर्द बाँटों इस तरह का काम भी करना
हमारे मन में भी पशुता पल्लवित हो गई होती
अगर माता पिता सा साथ पहरेदार न होता

तनिक परहित सदाशयता से रिश्ता जोड़ना सीखो
ख़ुशी की राह मजलूमों के ख़ातिर खोलना सीखो
सजो के रखना रिश्तों को यही ज़ेवर है जीवन के
नहीं मिलता कोई साहिल तो बेड़ा पार न होता

परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’
निवासी : जौनपुर उत्तर प्रदेश
सम्प्रति : मनोविज्ञान विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
रुचि : पुस्तक लेखन, सम्पादन, कविता, ग़ज़ल, १०० शोध पत्र प्रकाशित, मनोविज्ञान पर १२ पुस्तकें प्रकाशित, ११ काव्य संग्रह सम्पादित, अध्यक्ष साहित्यिक संस्था जौनपुर उत्तर प्रदेश
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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