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‘दम्भ अपार’- पहेली बूझो तो जानें

अर्चना अनुपम
जबलपुर मध्यप्रदेश
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अनगढ़-मनबढ़ एक चलत गजराज करत हुड़दंग,
दंभ से चूर उलीचत धूर मूढ़ बिरझात चिंघाड़त।

शक्ति सम्पन्न देह नहीं धीर भरे घरमण्ड,
कहत निज काज राज कै ख़ातिर क्रोध प्रचंड।

उजाड़त बाग छांव जस बाँस-साँस भ्रम पाल,
बनो महीपाल खींच जयमाल स्वयं मय स्वयं उघारत।

समुझत पालनहार जिला कै धीश झुकावत शीश,
डरे सब लोग बियाहत जोड़-तोड़ मण्डप से भागत।

मूरख करत बखान है ‘अनुपम’ ज्ञान राज विपदा ना आवत,
जे विवेक के हीन बौद्धि जिम बाज मीन से शान बतावत।

लीलत पग झषराज खींच मुख फाड़ नक्र जस नाच नचावत,
उतरत गर्व अपार क्षमा पुनि माँग हृदय तब नाथ पुकारत।

गजराज-हाँथी..
झषराज, नक्र- मगर..

परिचय :- अर्चना पाण्डेय गौतम
साहित्यिक उपनाम – अर्चना अनुपम
मूल निवासी – जिला कटनी, मध्य प्रदेश
वर्तमान निवास – जबलपुर मध्यप्रदेश
पद – स.उ.नि.(अ),
पदस्थ – पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय जबलपुर जोन जबलपुर, मध्य प्रदेश
शिक्षा – समाजशास्त्र विषय से स्नात्कोत्तर
सम्मान – जे.एम.डी. पब्लिकेशन द्वारा काव्य स्मृति सम्मान, विश्व हिन्दी लेखिका मंच द्वारा नारी चेतना की आवाज, श्रेष्ठ कवियित्री सम्मान, लक्ष्मी बाई मेमोरियल अवार्ड, एक्सीलेंट लेडी अवार्ड, विश्व हिन्दी रचनाकार मंच द्वारा – अटल काव्य स्मृति सम्मान, शहीद रत्न सम्मान, मोमसप्रेस्सो हिन्दी लेखक सम्मान २०१९..
विधा – गद्य पद्य दोनों..
पुरस्कार : १४ सितम्बर २०२० हिन्दी दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच (hindirakshak.com) इंदौर मध्य प्रदेश द्वारा अखिल भारतीय कविता सृजन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त।

भाषा – संस्कृत, हिन्दी भाषा की बुन्देली, बघेली, बृज, अवधि, भोजपुरी में समस्त रस-छंद अलंकार, नज़्म एवं ग़ज़ल हेतु उर्दू फ़ारसी भाषा के शब्द संयोजन।
विशेष – स्वरचित रचना विचारों हेतु विभाग उत्तरदायी नहीँ है.. इनका संबंध स्वउपजित एवं व्यक्तिगत है।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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