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बोझ

कु. आरती सिरसाट
बुरहानपुर (मध्यप्रदेश)

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सागर की गहराई से भी अधिक
सहनशीलता उसके अंदर है….
हुनर पाया है उसने एक ऐसा,
पलकों पर भी रखती वो समंदर है….
देखों सारी जिम्मेदारियों को
उसने अपने जुडें में बांधा है….
पैरों में पायल है, मगर
घुघरूओं को बंधनों ने जकड़ा है….
रखती है पाई-पाई का हिसाब, मगर रहता
खुद की उम्र का भी नहीं है जिसें होश….
नाम जिसका रखा है दुनिया ने बोझ…..
नाम जिसका रखा है दुनिया ने बोझ…..

कभी किसी की बेटी है….
तो कभी किसी की पत्नी है….
कभी किसी की माँ है….
तो कभी किसी की सास है….
अनेक है, अलौकिक है,
अनंत है उसके रूप….
सब को आँचल की छाया में
बिठाकर, खुद सहती है धूप….
समझ लेती है सभी को अपने ऐसा,
एक यही भी है उसमें दोष….
नाम जिसका रखा है दुनिया ने बोझ…..
नाम जिसका रखा है दुनिया ने बोझ…..

कतल कर देती है….
अपनी सारी इच्छाओं का,
लग जाती है अपनी सन्तान की
ख्वाहिशें पूरी करने में….
कह नहीं पाती अपने मन की बात
कभी ओरों के सामने,
अंदर ही अंदर घूट जाती है,
छोड़ती नहीं कोई कमी सहने में….
आगे अंजाम इसका
क्या होगा, पता होकर भी
छुपाकर रखा है ओर
एक बोझ अपनी कौख में….
जमाने से अलग रखती है वो अपनी सोच….
नाम जिसका रखा है दुनिया ने बोझ…..
नाम जिसका रखा है दुनिया ने बोझ…..

रचियता नें बड़ी अजीब
सी रचीं है प्रीत….
कहा होती है अब बहू को
बेटी बनाने की रीत….
हार कर खुद से, जो
परिवार का मन लेती है जीत….
ज्यादा कुछ नहीं, चाहें थोड़ा
सम्मान बस, ऐसा हो मनमीत….
एक घर ने नाम रखा है,
ये तो परायी है….
तो दूजा घर कहता है
ये तो परायें घर से आयीं है….
खामोश नदियां सी बह रही है….
अपने मन को हमेशा रखती है साफ….
धौना होतो धौ लो तुम अपने सारे पाप….
जब प्रलय करेगीं,
तो आ जायेगी समुद्र में मौज….
नाम जिसका रखा है दुनिया ने बोझ…..
नाम जिसका रखा है दुनिया ने बोझ…..

परिचय :- कु. आरती सुधाकर सिरसाट
निवासी : ग्राम गुलई, बुरहानपुर (मध्यप्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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