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हे पंछी नन्हे…

दिनेश कुमार किनकर
पांढुर्ना, छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)
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हे पंछी नन्हे….
संभलकर भर तू उड़ान!
हैं ज़िंदगी अनमोल जान!…..

गगन हो रहा रक्तिम लाल,
गिद्ध उड़ रहे ओढ़े खाल,
हर ओर नुकीले पंजो वाले,
रखना रे खुद का ध्यान!

संभलकर भर तू उड़ान!….
हैं ज़िंदगी अनमोल जान!

हो गई हैं निष्ठा बागी,
रोक उड़ानों पर हैं लागी
बातो में न आ जाना बंदे,
नही पिंजरे में तेरी शान,

संभलकर भर तू उड़ान!!……
हैं ज़िंदगी अनमोल जान!

जगह जगह लगे हैं फंदे,
बहेलियों के यही हैं धंदे,
चुग्गा दिखा पर कतरेंगे,
ना रहना इससे अनजान!

संभलकर भर तू उड़ान!
हैं ज़िंदगी अनमोल जान!

परिचय –  दिनेश कुमार किनकर
निवासी : पांढुर्ना, जिला-छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र :  मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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