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किताब तो किताब है

मनमोहन पालीवाल
कांकरोली, (राजस्थान)
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किताब तो किताब है
अपनो का प्यार है

बीते युग का इतिहास है
यही गीता ओर पुराण है

दो प्यार करने वालो का
छुपा इसमे कई राज है

जो अफ़साने बन गए है
यह उन्ही का तो ताज है

संस्कारो को पाठशाला है
गिरता नही कोई वज्रपात

मौके हे खुद सम्हलने का
अज्ञानियों का मधुमास है

किताब, वक्त-ए-मदरसे है
बनते यही राम, रावण है

पढते-पढते थक जाओगे
मोहन जीवन का सार है

परिचय :- मनमोहन पालीवाल
पिता : नारायण लालजी
जन्म : २७ मई १९६५
निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान
सम्प्रति : प्राध्यापक
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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