
मनोरमा जोशी
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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है धरती माँ तुझे प्रणाम,
तू कितनी महान।
तेरी गोद मे पले जग सारा,
हर प्राणी की तू है जान,
तू बड़ी महान।
सम भाव से सबको हांके,
अन्न जल जीवन,
सब समस्या का समाधान,
तू बड़ी महान।
कभी बहाती चंचल धारा,
कभी रूखा रेगिस्तान,
हर कृषक की पालनहार,
तु है बड़ी महान।
तुझ पर अडिंग थमें हुऐ है,
महल कचहरी और मकान।
तू है बडी महान।
तेरी महिमा अपरम्पार,
अनंत बोझ सहन कर तुमनें,
किया है जनजन पर उपकार
तुझसे रोशन है सारा जहान।
माँ तुझे शत-शत प्रणाम।
वसुन्धरा दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं…
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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