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बनके “काली”

प्रेम नारायण मेहरोत्रा
जानकीपुरम (लखनऊ)
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माता रानी का है आगमन हो रहा,
उनके दरबार जाकर कृपा पाइए।
अपने श्रद्धा सुमन उनको अर्पित करो,
सब रहें स्वस्थ, अर्ज़ी लगा आइए।
मातारानी का है………..
लखनऊ पर है माँ के हेतु कृपा,
सारे ही पीठ लेकर है माँ आ गई।
विश्व का पहला मंदिर बनाया यहां,
पहले दर्शन पे सबपर कृपा होगई।
अपने दुःख दर्द की पोटली बांधकर,
मातारानी के चरणों मे रख जाइये।
मातारानी का है…………
तेरे दरबार मे भक्त जो आरहे,
उनपे अपना सुरक्षा कवच डालिये।
किसकी क्या है जरूरत तुझे ज्ञात है,
हर उचित मांग को पूर्ण कर डालिये।
आप ही सृजन करती और है पालती,
ज्ञान की ज्योति को भी जला जाइये।
मातारानी का है……..
माँ तेरे भक्त तो सदा आश्रित तेरे,
उनको हो कष्ट तू कैसे सह पाएगी।
माँ कॅरोना से भयभीत बच्चे तेरे,
जग को छोड़ेंगे तो तू भी दुःख पायेगी।
तेरे सेवक की माँ तुझसे विनती यही,
बनके “काली” कॅरोना को खा जाइये।
मातारानी का है……….

परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा
निवास : जानकीपुरम (लखनऊ)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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