अमिता मराठे
इंदौर (म.प्र.)
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प्रकृति हमें शिक्षा देती,
मार्ग हमारे प्रशस्त करती।
नदी कहती बहते चलो,
मधुर निनाद करते चलो।
स्व शक्ति का लाभ ले लो,
जीवन की सफ़लता पाओ।
विश्व शांति का गीत गाओ,
अशांति को दूर भगाओ।
प्रकृति हमें शिक्षा देती
पर्वत कहते,चोटी देखो,
मेरे जैसी ऊंचाई पाओ।
दृढ़ता के गुण अपना लो,
विश्व का नव निर्माण करो।
नवीनता का आश्रय ले लो,
श्रेष्ठकर्म से सफल हो जाओ।
उड़ती कला में उड़ते चलो।
प्रकृति हमें शिक्षा देती।
पेड़ कहते,फलते रहो,
नम्र चित्त सरल बनो।
शीतल छाया दान करो,
जग में पुण्य यूं कमाओ,
पीढ़ियां याद करती चले।
अभिमानी कभी न बनो,
क्रोध अंहकार छोड़ दो।
सब होंगे काम तमाम,
पूर्णता को पा जाओगे।
प्रकृति हमें शिक्षा देती।
सूर्य चांद कहते चमको,
नभ को देदीप्यमान करो,
घोर रात्रि का ज्ञान दे दो।
सोझरे में खड़े हो जाओ।
कर्म करते कर्मयोगी बनो,
ऊंच पद को प्राप्त करो,
जग में अपना नाम धरों।
प्रकृति हमें शिक्षा देती,
मार्ग हमारा प्रशस्त करती।
परिचय :- ८ अगस्त १९४७ को जन्मी इंदौर निवासी श्रीमती अमिता अनिल मराठे को लिखने का शौक है आपकी रचनाएँ कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। नई दिशा एवं जीवन मूल्यो के प्रेरक प्रसंग नाम से आपकी दो किताबे भी प्रकाशित हुई है।
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