रशीद अहमद शेख ‘रशीद’
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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आदिकाल से इस धरती पर,
जो भी आया यायावर है।
मानव तन क्षणभंगुर नश्वर,
किन्तु आत्मा अजर-अमर है।पाकर ईशादेश आत्मा,
देह-वसन धारण करती है।
पंचतत्व की देह अंत में,
मिले इन्हीं में जब मरती है।चले छोड़ कर देह आत्मा,
कहें लोग जाए ऊपर है।
मानव तन क्षणभंगुर नश्वर,
किन्तु आत्मा अजर-अमर है।मानव काया मंदिर सम है,
करे आत्मा वहाँ वास है।
रुक जाती है जब धड़कन तो,
उड़े आत्मा अनायास है।सांसें थम जाएँगी किस क्षण,
किसे ज्ञात है किसे ख़बर है।
मानव तन क्षणभंगुर नश्वर,
किन्तु आत्मा अजर-अमर है।नीड़ शरीर आत्मा पक्षी,
वह उड़ जाएगा जाने कब।
जगत वृक्ष रूपी शाखा पर,
सन्नाटा हो जाएगा तब।जन्म हुआ है जिसका जग में,
मिटता उसका तन मरकर है।
मानव तन क्षणभंगुर नश्वर,
किन्तु आत्मा अजर-अमर है।नहीं आत्मा जलती-कटती,
क्षरण-मरण से नहीं प्रभावित।
प्राणशक्ति है यही मनुज की,
जीवन है इससे संचालित।कठपुतली-से अभिनयरत जन,
सबका स्वामी परमेश्वर है।
मानव तन क्षणभंगुर नश्वर,
किन्तु आत्मा अजर अमर है।
परिचय – रशीद अहमद शेख ‘रशीद’
साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’
जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१
जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत
शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल•बी•, साहित्य रत्न, कोविद
कार्यक्षेत्र ~ सेवानिवृत प्राचार्य
सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा
लेखन विधा ~ कविता,गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहे तथा लघुकथा, कहानी, आलेख आदि।
प्रकाशन ~ अब तक लगभग दो दर्जन साझा काव्य संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। पांच काव्य संकलनों का संपादन किया है।
प्राप्त सम्मान-पुरस्कार ~ राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान एवं विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्थानों द्वारा अनेकानेक सम्मान व अलंकरण प्राप्त हुए हैं।
विशेष उपलब्धि ~ हिन्दी और अंग्रेजी का राज्य प्रशिक्षक तथा जूनियर रेडक्रास का राष्ट्रीय प्रशिक्षक रहे। सन्रा १९९२ में राज्यपाल से अवार्ड मिला।
लेखनी का उद्देश्य ~ राष्ट्रीय एकता, सामाजिक समरसता तथा व्यक्तिगत सर्वांगीण विकास।
पसंदीदा हिन्दी लेखक ~ शिवमंगलसिंह सुमन, दुष्यंत कुमार, नीरज
विशेषज्ञता ~ मैं सदैव स्वयं को विद्यार्थी मानता आया हूँ।
देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार ~ भारत से मैं असीम प्रेम करता हूँ। धरती पर ऐसा अद्भुत महान देश अन्यत्र नहीं। मुझे हिन्दी बोलने,पढ़ने और इस भाषा में कुछ भी लिखने में बहुत गर्व का अनुभव होता है।
मौलिकता की शपथ ~ मैं मौलिकता को लेखन का अनिवार्य अंग मानता हूँ।
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