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जीवन चक्र कैसे अवरूद्ध हो गया

गोविंद पाल
भिलाई, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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जीवन चक्र कैसे अवरूद्ध हो गया है देखो आज,
इसे चलाने कर्तव्यों की वलिवेदी पर डटे हुए हैं मेरे सरताज।

विरह की अग्नि में जल रही हूँ प्रिये तुम्हारे बिन,
पर डटी हुई हूं घर पर गईं सारी सुख-चैन छीन।

हे प्रिये कुछ ही महीने तो हुए थे तुम्हारे संग हमनें गुजारी,
क्या पता था तुमसे दूर कर देगी हमें ये महामारी।

संकट की इस घड़ी में देश बचाने कबसे निकले हो पहनकर वर्दी,
पर चिंता मुझे खाये जा रही है तुम्हें न हो जाये कहीं खांसी- सर्दी ।

प्रकृति को नाश किया है मानव ने उढेलकर अपना मन का जहर,
प्रकृति भी कहाँ छोड़ने वाली वो भी वरपा रही है कहर।

पर प्रिये तुम छोड़ना नहीं अपना कर्तव्यों का डगर,
मैं बचूं या न बचूं प्रियतम तुम शहर को बचा लेना मगर ।

हे चंचल हवा मेरे प्रीत की पाती लेकर उन तक पंहुचाना,
आंसुओं से लिखी गईँ मेरी पाती का संदेश उन्हें जरूर सुनाना,
“राष्ट्र सेवा ही धर्म है, राष्ट्र का काम ही कर्म है, राष्ट्र को है बचाना,

मैं तड़प रही हूँ तुम्हारे बगैर फिर भी घर तब तक लौटकर नहीं आना,
जब तक इंसानियत जीत न जाये और जब तक न हारे ये कोरोना।

परिचय :गोविंद पाल
शिक्षा : स्नातक एवं शांति निकेतन विश्व भारती से डिप्लोमा इन रिसाइटेशन।
लेखन : १९७९ से
जन्म तिथि : २८ अक्तूबर १९६३
पिता : स्व. नगेन्द्र नाथ पाल,
माता : स्व. चिनू बाला पाल
पत्नी : श्रीमति दीपा पाल
पुत्र : प्लावनजीत पाल
निवासी : भिलाई नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
प्रकाशन :
परमात्मा के खिलाफ (कविता संग्रह – २००२) शब्द भारती प्रकाशन इलाहाबाद उ. प्र.
मुन्ना बोला (बाल कविता संग्रह – २००३) वैभव प्रकाशन रायपुर, छत्तीसगढ़
हांटूर नीचेर मानूष (बांगला कविता संग्रह – २००४) मिहिर प्रकाशन दुर्ग, छत्तीसगढ़
चिंटू का वादा बाल कहानी संग्रह – २००५) लोकहित प्रकाशन – दिल्ली
टकला बाबा (बाल नाटक संग्रह – २००५) लोकवाणी प्रकाशन – दिल्ली
बोनसाई (कविता संग्रह – २००९) देश भारती प्रकाशन – दिल्ली
इसके अलावा तीन पुस्तकें शीघ्र प्रकाशनाधीन
प्रसारण : आकाश वाणी तथा दर्जनों टी व्ही चैनलों से बाल कविता, बाल नाटक एवं हास्य व्यंग्य व अन्य कविताओं का प्रसारण
पुरस्कार व सम्मान :
१. अ. भा. अंबिका प्रसाद दिव्य रजत अलंकरण से अलंकृत – २००६
(बाल कहानी संग्रह चिंटू का वादा के लिए)
२. शब्द रत्न मानद उपाधि से सम्मानित किया गया- २०१२
अखिल भारतीय काव्य संग्रह प्रतियोगिता में पुरे हिंदुस्तान से आये हुए २०० काव्य संग्रह में से सबसे उत्कृष्ट कविता संग्रह के रूप में बोनसाई को प्रथम पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया एवं “शब्द रत्न” मानद उपाधि से नवाजा गया।
३. २००८ – रामसेवक सक्सेना स्मृति बाल साहित्य सम्मान बाल साहित्य शोध केन्द्र भोपाल में डा. राष्ट्र बंधु के कर कमलो द्वारा
४. २००९ – बाल वाटिका सृजन सम्मान, भीलवाड़ा राजस्थान
५. २०१० – बाल साहित्य शिखर सम्मान खटिमा उधमसिंह नगर, उत्तराखंड द्वारा,
६. तीन अप्रैल से बारह अप्रैल २०१८ तक बांग्लादेश की साहित्यिक यात्रा में बांग्लादेश के कई शहरों में बांग्लादेश के सचिवालय में कविता पाठ एवं की पुरस्कार विजेता सम्मान प्राप्त।
७. हाल ही में म.प्र. साहित्य अकादमी के सुप्रसिद्ध कवि, लेखक व समीक्षक एवं म.प्र. साहित्य अकादमी के संयोजक श्री घनश्याम मैथिल “अमृत” द्वारा लिखित समीक्षात्मक पुस्तक रचना के साथ साथ में हिंदुस्तान के सबसे उत्कृष्ट २८ पुस्तकों की समीक्षा में गोविंद पाल की काव्य संग्रह “बोनसाई” को भी शामिल किया गया है।


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