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अप्रैल फूल

संजय वर्मा “दॄष्टि”
मनावर (धार)
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अप्रैल फूल
कही नहीं खिलता मगर
खिल जाता
एक अप्रैल को
क्या, क्यों, कैसे?
अफवाओं की खाद से और
मगरमच्छ के आँसू से सींचा
लोगो ने इस अप्रैल फूल को।

इसीलिए ये झूठ का पौधा
एक अप्रैल के गमले में
फल फूल रहा वर्षो से।

लोग झूठ को भी
सच समझने लगे
झूट के बाजारों में
क्या अप्रैल फूल के
बीज मिलते
जब पूछे, तो लोग कहते-हाँ
बस एक अप्रैल को ही
दुकानों पर मिलते है।

आप को विश्वास हो तो
आप भी लगाए
घर की बालकनी में और आँगन में
लोगो को जरूर दिखाए
कहे कि हमारे यहाँ एक अप्रैल का फूल खिला
ताकि उन्हें कुछ तो विश्वास हो।

एक अप्रेल को भी
सुंदर सा फूल खिलता है
जैसे वर्षों बाद खिलता ब्रह्म कमल
जिसे देखा होगा सबने
मगर अप्रैल फूल
कभी देखा नहीं
शायद एक अप्रैल को
हमारे द्वारा बोया ही हमे देखने का
सौभाग्य प्राप्त हो।

परिचय :- संजय वर्मा “दॄष्टि”
पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा
जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन)

शिक्षा :- आय टी आय
व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग)
प्रकाशन :- देश – विदेश की विभिन्न पत्र – पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति “दरवाजे पर दस्तक”, खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान – २०१५, अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
संस्थाओं से सम्बद्धता :- शब्दप्रवाह उज्जैन, यशधारा – धार, मगसम दिल्ली,
काव्य पाठ :- काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ, शगुन काव्य मंच
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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