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आओ रंजोगम दूर भगाये

दिनेश कुमार किनकर
पांढुर्ना, छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)
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आओ रंजोगम दूर भगाये!…….
खुशियों के संग होली मनाये!…..

हैं नई फ़िज़ा और नया जमाना,
गाये सब खुशियो का तराना
करे काष्ठ छोड़ कर्कट दहन,
भीतर बाहर सब शुद्ध बनाये,
सपनो के संग होली मनाये!……

अमन चैन की हवा सुस्त हैं,
बाकी तो सब कुछ दुरुस्त हैं
दिल से सब को लगा गले,
आओ गीत सौहार्द के गाये,
अपनो के संग होली मनाये!…..

चहुँ ओर हो हँसी व ठिठोली,
खेले मिल-जुल कर सब होली,
लेकर ढोल मंजीरे व ताशे,
नाच-नाच कर फ़ाग सुनाये,
रंग रंगीली सब होली मनाये!….

है खिल उठे जंगल मे पलाश,
जागी मन मे मीत की आस,
देख सजनी के सराबोर वसन,
तन मन मादकता भर जाए,
प्रिय संग खूब होली मनाये!…..

जलाये जो हैं अशुभ असुंदर,
और सृजन करे नूतन निरंतर,
यह पर्व हैं नव पल्लवो का,
युवा नव पथ पर पग बढ़ाये,
संकल्पो के संग होली मनाये!….

रंगों से भर कर के पिचकारी,,
साजन ने जो सजनी को मारी,
गाल स्वतः हो गए गुलाबी,
मदरस छलका छलका जाए,
प्रिये सजन संग होली मनाये!……

घर द्वारे आम्र तोरण तने हो,
अब रंग सारे फूलो से बने हो,
लगा सृष्टि की नेमतों को गले,
कृत्रिमता से अब दूरी बनाए,
प्रकृति संग सब होली मनाये!…..

आओ रंजोगम दूर भगाये!……
खुशियों के संग होली मनाये!…..

परिचय –  दिनेश कुमार किनकर
निवासी : पांढुर्ना, जिला-छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र :  मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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