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जीवन के रंग

रुचिता नीमा
इंदौर म.प्र.
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जिंदगी तो हर पल ही रंगीन है,
एक रंग में रंगना, इसकी तौहीन है।।
तरह तरह के रंग है इसमें
हर रंग के अनुभव है इसमें

हर उम्र की एक नई है भाषा,
हर उम्र में एक नूतन अभिलाषा,
हर भाव का अपना विशेष रंग
चलो हम भी भीगे उसके संग,

बचपन, जवानी और बुढ़ापा,
जैसे लाल, गुलाबी और जामुनिया।।
हर रंग अपना असर दिखलाता
वक़्त के साथ बदलता जाता।।

तरह तरह के अनुभवों ने
जीवन मे अनेक रंग है बिखराये।।
कभी गुलाबी खुशीयों की बहार आई,
कभी गहरे आँसुओं के सैलाब आये।।

कभी सुनहरा पल आया जब
क़ामयाबी ने कदम चूमे,
तो कभी अंधियारे राहों पर
चलते सीधे कदम भी डगमगाए।।

कभी हर तरफ लाली छाई,
जब खुशियों के क्षण है आये
तो कभी श्वेत रंग में डूब गए,
जब अपने हम से रूठ गए।।

हर सुबह नारंगी धूप
एक नई शुरुआत है लाई।।
हर शाम की नीलिमा
एक नया परिणाम है लाई।

हर एक पल बस बीत गया ऐसे,
चित्र पटल पर चलचित्र हो ऐसे,
तरह तरह के रंगों से रंगीन हुआ जीवन
जिसमें अलग-अलग रंगों के मुकाम आये

आज जिंदगी के आखिरी मुक़ाम पर,
एक बार फिर वो सब रंग याद आये।।
अंत में सब रंग है धुँधलाये
न कुछ साथ लाये थे, न ले जा रहे,
हम तो बस इस धरा पर
बनकर मेहमान आये।।
बिखेरकर अनेक रंग धरा पर
हम करने अपना काम आए।।

परिचय :-  रुचिता नीमा जन्म २ जुलाई १९८२ आप एक कुशल ग्रहणी हैं, कविता लेखन व सोशल वर्क में आपकी गहरी रूचि है आपने जूलॉजी में एम.एस.सी., मइक्रोबॉयोलॉजी में बी.एस.सी. व इग्नू से बी.एड. किया है आप इंदौर निवासी हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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