Saturday, November 23राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

दयाभाव

सुधीर श्रीवास्तव
बड़गाँव, जिला-गोण्डा, (उ.प्र.)
********************

चिलचिलाती धूप में
राष्ट्रीय राजमार्ग पर
दुर्घटना ग्रस्त बाइक सवार को देख
पहले तो मैं घबड़ाया,
फिर हिम्मत करके
अपनी बाइक को किनारे लगाया।
घायल युवक के पास गया,
उसकी हालत देख
मैं काँप गया,
फिर वहाँ से भाग निकलने का
विचार किया।
परंतु दया भाव से
मजबूर हो गया।
अब आते-जाते लोगों से
मदद की उम्मीद में सड़क पर
आते-जाते लोगों से
दया की भीख माँगने लगा।
बमुश्किल एक अधेड़ सा व्यक्ति
आखिर रुक ही गया,
मेरी उम्मीदों को जैसे
पंख लग गया।
मैंने हाथ जोड़
मदद की गुहार की,
मेरी बात उसे
बड़ी नागवार लगी।
उसने समझाया
लफड़े में न पड़ भाया,
तू बड़ा भोला दिखता है
फिर लफड़े में क्यों पड़ता है?
ऐसा कर
तू भी जल्दी से निकल ले
पुलिस के लफड़े से बच ले।
ये तेरा सगेवाला नहीं है
मरता है तो मरने दो
दया धर्म का ठेकेदार न बन,
तुम्हारे दया धर्म के चक्कर में
वो मर गया तो
कानून का लफड़ा भारी पड़ जायेगा
तब तुम्हारे दया धर्म का भाव
तुम्हारे ही किसी काम नहीं आयेगा।
उसने मुफ्त का भाषण पिलाया
और नौ दो ग्यारह हो गया।
एक बार तो
मैं भी हिल गया,
फिर उम्मीद लिए
लोगों से दया पाने की
कोशिशों में जुट गया,
कोशिश रंग लाई,
तभी एक एम्बुलेंस आ गई
किसी तरह घायल को
लेकर चली गई।
मैं सोचने लगा
लगता है
लोगों का जमीर मर गया है,
पर मन मानने को
तैयार न हुआ,
दया-भाव अभी जिंदा है
एम्बुलेंस वाला यही तो बताकर
उम्मीद के साये में
घायल को ले गया है।

परिचय :- सुधीर श्रीवास्तव
जन्मतिथि : ०१.०७.१९६९
पिता : स्व.श्री ज्ञानप्रकाश श्रीवास्तव
माता : स्व.विमला देवी
धर्मपत्नी : अंजू श्रीवास्तव
पुत्री : संस्कृति, गरिमा
पैतृक निवास : ग्राम-बरसैनियां, मनकापुर, जिला-गोण्डा (उ.प्र.)
वर्तमान निवास : शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव जिला-गोण्डा, उ.प्र.
शिक्षा : स्नातक, आई.टी.आई.,पत्रकारिता प्रशिक्षण (पत्राचार)
साहित्यिक गतिविधियाँ : विभिन्न विधाओं की कविताएं, कहानियां, लघुकथाएं, आलेख, परिचर्चा, पुस्तक समीक्षा आदि का १०० से अधिक स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। दो दर्जन से अधिक संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन।
सम्मान : एक दर्जन से अधिक सम्मान पत्र।
विशेष : कुछ व्यक्तिगत कारणों से १७-१८ वषों से समस्त साहित्यिक गतिविधियों पर विराम रहा। कोरोना काल ने पुनः सृजनपथ पर आगे बढ़ने के लिए विवश किया या यूँ कहें कि मेरी सुसुप्तावस्था में पड़ी गतिविधियों को पल्लवित होने का मार्ग प्रशस्त किया है।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *