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फागुन आया

मालती खलतकर
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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फागुन आया होली आई
ढोल बजाओ मांडल रे
आंगन-आंगन बजी बधाई
देहरी पहने पायल रे, पायल रे
फागुन आया होली आई ढोल बजाओ मांदल रे

यौवन सजे सजे हर द्वारें
पायल नूपुर बाजे रे
गेहू वाली लेकर आती
खनखन करती करती चूड़ियां रे
फागुन आया होली आई ढोल बजाओ मांदल रे

रंगा गुलाल संघ मचल रही है
हरि पीली आंचल चांदनी
ताल-ताल पर नाच रही है
मेरे मन की रागिनी
रवि किरणे भी घोल रही है
सतरंगी केसरिया रंग रे
फागुन आया होली आई ढोल बजाओ मांडल रे

टेसु-टेसु रंग केसरिया
पाखी-पाखी झूम मेरे
घर आंगन में सजी सावरी
ढाणी चुनरिया ओढेरे
पीली-पीली सरसों पर
मान मतवाला डोले रे
फागुन आया होली आई बोल बजाओ मांडल रे

प्रातः संध्या अवनी अंबर
अभी राकेश एरिया खेले रे
आज नहीं है देव्श कहीं भी
अनुराग मानव भरे रे
फागुन फाग सजे मतवाले
मत वालों की टोली रे
फागुन आया होली आई ढोल बजाओ मादल रे

परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ीआप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से जुड़ी हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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