डाॅ. दशरथ मसानिया
आगर मालवा म.प्र.
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राम नाम उच्चारिये,छूटे भव संसार।
जीवन परहित कीजिये,कहत है कवि विचार।।
राम नाम जग महिमा छाई।
राम कथा शिव उमा सुनाई।।१
काकभुसुंड गरुड़ समझाई।
याज्ञवल्क भरद्वाज बताई।।२
रामायण के भेद अनेका।
बहुभाषा में कवियन लेखा।।३
कृती वास बंग्ला में गाया।
रंगनाथ को तेलगु भाया।।४
भाष तमिल में कंबन भाई।
दिवाकरा कश्मीरी गाई।।५
सरलदास की उड़िया भाषा।
देश विदेशा जन विश्वाशा।।६
वाल्मीकि संस्कृत में गाई।
तुलसी ने फिर अवधि रचाई।।७
संवत् सोलह तैंतिस आया।
रामचरित मानस जग छाया।८
सात महीना अरु दो साला।
छब्बिस दिन में ग्रंथ विशाला।।९
दोहा चौपइ छंद अनेका।
सात कांड में रचना लेखा।।१०
बाल कांड जन्मे रघुराई ।
भरत शत्रुघन लछमन भाई।।११
कौशल दशरथ नंदन प्यारे।
खेलें आंगन आंखन तारे।१२
विश्वामित्र गुरू रघुराई।
बाल पने में शिक्षा पाई।।१३
मार ताड़का सुबाहु दानव।
कष्ट मिटाया जीवन मानव।।१४
गुरु के संग जनकपुर जाई।
मुनि ने गंगा कथा सुनाई।।१५
चरण धूल की महिमा भारी।
सुंदर रूप अहिल्या तारी।।१६
रघुवंशी की कीन बड़ाई।
तोड़ा धनुवा सीता ब्याही।।१७
राजा मिथिला चारों कन्या।
देकर कौशल हो गये धन्या।।१८
द्वितीय अयोध्या सरस अनूपा।
राम गमन वन दीना भूपा।।१९
साथ लखन तिय सुंदर सीता।
कंद मूल फल खाके बीता।।२०
राम देख सुरपणखा धाई।
सुंदर रूप बना के आई।।२१
फिर सीता पर घात लगाई।
तब लछमन ने मार भगाई।।२२
तीन अरण्या कांड विशेषा।
सीता हरणी साधू वेशा।।२३
गिद्ध जटायु सद्गति दीना।
मान अभारा किया बखाना।।२४
शबरी देवी के फल खाये।
नवधा भक्ती भेद बताये।।२५
फिर किष्किंधा किया विचारा।
मिल सुग्रीवा बाली मारा।।२६
ऋष्यमूक पर्वत पे आये।
चतुर्मास भी यही बिताये।।२७
जामवंत से राय मिलाई।
सीता माता खोज कराई।।२८
पार समुंदर गए हनुमाना।
मारा अक्षय सिय बतराना।।२९
सुंदर सुरसा लंकनि तारी।
मिले विभीषण लंका जारी।।३०
फिर रामेश्वर पूजन कीना।
शिव भोले से आशिष लीना।।३१
राम सेतु नल बांध बनाया।
सारी सेना पार लगाया।।३२
बार-बार रावण समझाया।
अंगद दूध बना पहुंचाया।।३३
वानर दानव युद्ध करारा।
गदा शस्त्र धनु चले अपारा।।३४
लंका के सब सैनिक मारे।
राम बाण से स्वर्ग सिधारे।३५
अंत राम ने रावण मारा।
राज विभीषण लंककुमारा।।३६
पुष्पक बैठ अवध को आये।
मातु सिया को संग लिवाये।३७
सब नदियों का नीर मंगाया।
राजतिलक में सब जगआया।।३८
घर-घर दीपक मंगला चारा।
राम राज की खुशी अपारा।३९
उत्तर कांड कथा मन भाई।
वेद नीति का सार बताई।।४०
रामायण महकाव्य का, चालिस में करि गान।
सार सार वर्णन किया, कहत हैं कवि मसान।।
परिचय :- आगर मालवा के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय आगर के व्याख्याता डॉ. दशरथ मसानिया साहित्य के क्षेत्र में अनेक उपलब्धियां दर्ज हैं। २० से अधिक पुस्तके, ५० से अधिक नवाचार है। इन्हीं उपलब्धियों के आधार पर उन्हें मध्यप्रदेश शासन तथा देश के कई राज्यों ने पुरस्कृत भी किया है। डॉं. मसानिया विगत १० वर्षों से हिंदी गायन की विशेष विधा जो दोहा चौपाई पर आधारित है, चालीसा लेखन में लगे हैं। इन चालिसाओं को अध्ययन की सुविधा के लिए शैक्षणिक, धार्मिक महापुरुष, महिला सशक्तिकरण आदि भागों में बांटा जा सकता है। उन्होंने अपने १० वर्ष की यात्रा में शानदार ५० से अधिक चालीसा लिखकर एक रिकॉर्ड बनाया है। इनका प्रथम अंग्रेजी चालीसा दीपावली के दिन सन २०१० में प्रकाशित हुआ तथा ५० वां चालीसा रक्षाबंधन के दिन ३ अगस्त २०२० को सूर्यकांत निराला चालीसा प्रकाशित हुआ।
रक्षाबंधन के मंगल पर्व पर डॉ दशरथ मसानिया के पूरे ५० चालीसा पूर्ण हो चुके हैं इन चालीसाओं का उद्देश्य धर्म, शिक्षा, नवाचार तथा समाज में लोकाचार को पैदा करना है आशा है आप सभी जन संचार के माध्यम से देश की नई पीढ़ी को दिशा प्रदान करेंगे।
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