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मै क्या करूँ

रूपेश कुमार
(चैनपुर बिहार)
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मै क्या करूँ,
समझ नहीं पा रहा हूं,
आखिर क्यों मै इतना सोचता हू,
मै इतना जीवन के सपने देखता था,
मै क्यों इतना पागल होता हूं,
दिल मे हमेशा दर्दो का महफिल लगा होता है,
आंखों में हमेशा आंसू भरा रहता है,
आखिर क्यों ऐसा मेरे साथ ही होता है,
जब भी अकेला होता हूं,
आंखों में पानी भर जाता है,
दिल करता है,
मै स्वयं को समाप्त कर लू,
ऐसा क्यों होता है,
शायद मेरी जिन्दगी की आखिरी शब्द हो,
या शायद मै ही आखिरी हू,
अब इस दर्द से मुझे रहा नहीं जा रहा है,
आखिर क्यों मै अलग महसूस करता हू,
स्वयं को मै डिप्रेशन में महसूस कर रहा हूं,
कुछ सोच नही पाता हू,
दुनिया की दुनियादारी,
समाज की मजबुरी,
मुझे ना जीने देती है ना मरने देती है,
मै क्या करूँ,
कोई बताए मुझे,
या आत्म को स्वयं मे लिप्त कर दू,
मुझे इस नश्वर दुनिया में,
सिर्फ अशांति ही अशांति,
जी करता है जोगी ही बन जाऊँ,
मुझे अब दुनिया से रिश्ते-नाते,
सभी अनसुलझा लगता है,
ना अब आत्मविश्वास बच पाया,
और ना अब अपनी लालसा,
मै क्या करूँ !

परिचय :- रूपेश कुमार
शिक्षा : स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डिप्लोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी !
निवास : चैनपुर, सीवान बिहार
सचिव : राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान
प्रकाशित पुस्तक : मेरी कलम रो रही है
सम्मान : कुछ सहित्यिक संस्थान से सम्मान प्राप्त !
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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