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वो याद आये इतना

धैर्यशील येवले
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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घटाए छाने लगी
शाम होने लगी
हवा के संगीत पर
फूलों की शाखें
झूमने लगी
वो याद इतना आये की
शबनम बरसने लगी।

दीदार हो उनका
गुंचो ने आँखे खोली
निकल आया आफताब
फ़िज़ाये महकने लगी
वो याद इतना आये की
शबनम बरसने लगी।

खिजा आती है इसलिए
टूट कर गिराने को पत्ते
रूठ जाएगा मेरा महबूब
गर उसके पैरों में धूल लगी
वो याद इतना आये की
शबनम बरसने लगी।

उसे डर किस बात का
वो खुद ही खुर्शीद है
आने के आसार है उसके
सितारों की रौशनी कम होने लगी
वो याद इतना आये की
शबनम बरसने लगी।

फलक हो या हो जमीन
तू है कहा नही
सुर्खी है तू फूलों की
रोशनी है सितारों की
कायनात तेरे दम पर
इठलाने लगी
वो याद इतना आये की
शबनम बरसने लगी।

तू वो शायरा जिसने लिखी
ये रूमानी ग़ज़ल
तेरे नक्शेकदम पर चल
मेरी शायरी जवां होने लगी
वो याद इतना आये की
शबनम बरसने लगी
शबनम बरसने लगी।

परिचय :- धैर्यशील येवले
जन्म : ३१ अगस्त १९६३
शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से
सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ।
सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर hindirakshak.com द्वारा हिंदी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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