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सास बहू का रिश्ता

संजय जैन
मुंबई (महाराष्ट्र)
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बहू सास का रिश्ता मैं
तुम को समझता हूँ।
हर घर की कहानी
तुम को मैं सुनाता हूँ।
सुनकर कुछ सोचना,
और कुछ समझना।
सही बात यदि मैंने
कही हो तो बता देना।।

सास बहू का रिश्ता
बड़ा अजीब होता है।
बहू सास को माँ कहे तो
रिश्ता प्यारा होता है।
सास अगर बहू को
बेटी कहके पुकारे तो।
ये रिश्ता मां और बेटी
जैसा बन जाता है।
सास बहू का रिश्ता
बड़ा अजीब होता है।

सास बहू को बहू ही
समझे तो खटा होता है।
बहू सास को सास
माने तो झगड़ा होना है।
न तुम न हम कम फिर
घर अशांत होना है।।

इन दोनो के तकरार में
बाप बेटा पिसते है।
बहुत दिनों तक दोनों
मौनी बाबा बने रहते हैं।
पर जिस दिन भी ये
सब्र का घड़ा फूटता है।
और उसी दिन से दो
चुहलें घर में हो जाते है।।

घर का माहौल सास बहू
पर निर्भर करता है।
सास को माँ और बहू को
बेटी जैसा मानती है।
वो घर द्वारा स्वर्ग जैसे
स्वंय ही बन जाते है।
और कलयुग में भी राम
राज्य जैसा घर पाते है।।
सास बहू का रिश्ता
बड़ा अजीब होता है।।

परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ-साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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