दिलीप कुमार पोरवाल “दीप”
जावरा मध्य प्रदेश
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अक्सर ये कहा जाता है कि मतलब या काम निकलने के बाद लोग सब भूल जाते हैं।
शाम का समय था, दिनेश अपने घर के हाल में अकेले बैठा था कि डोर बेल बजी। दरवाजा खोल कर देखा तो सामने चाचा जी खड़े थे। जय श्रीकृष्णा चाचाजी, आइए पधारिए की ओपचारिकता के बाद दोनों सोफे पर बैठ गए। चाचाजी मुझे फोन कर दिया होता तो मैं ही बस स्टैंड पर लेने आ जाता। थोड़ी देर की बातचीत के बाद चाचाजी मै आपके लिए चाय बना के लाता हूं।
चाय की चुस्कियां लेते हुए चाचा जी बात किए जा रहे थे कि अचानक से नाराजगी वाले अंदाज से बोले कि बेटा आज कल कौन किसको याद करता है। ये दुनिया बड़ी मतलबी है। काम या वक्त निकलने के बाद सब भूल जाते हैं। चाचाजी की बात दिनेश को समझ आ रही थी कि आखिर चाचाजी ऐसा क्यों कह रहे, कहीं मुझे ही लक्ष्य करके तो नहीं बोल रहे हैं। दिनेश चाचाजी से ऐसी बात नहीं है, हम कैसे भूल सकते हैं।
दिनेश अपनी जगह से उठा और एक मिनिट चाचाजी मै आता हूं। दिनेश ने अल्मिराह से डायरी निकालकर डायरी का वो पन्ना खोलकर चाचाजी के सामने रख दिया जिसमें दिनेश ने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए चाचाजी के बारे में लिखा था ।
डायरी में दिनेश ने चाचाजी के बारे में बहुत सारी बातों के साथ ही ये भी लिखा था कि चाचाजी ने मुझे बचपन में साइकिल चलाना सिखाया, जिसका संबंध रफ्तार और संतुलन से है यानि कि जीवन पथ में प्रगति करो, लेकिन साथ ही इतना ध्यान रखो कि कही तेज़ रफ़्तार के साथ कही हमारे आपसी सम्बन्ध पीछे न छूट जाएं। रफ़्तार और संबंधों में संतुलन बना रहे। यह उनका ही आशिर्वाद ही था कि मै अपने जीवन में लगातार प्रगति करता रहा हूं।
चाचाजी ने बचपन में मुझे तैरना सिखाया। चाचाजी हमेशा कहते थे बेटा हाथ पैर नहीं चलाओगे तो डूब जाओगे अर्थात बिना प्रयास के कभी कुछ हासिल नहीं हो पायेगा और ये भी कि जिसको तैरना आ गया वो जीवन के किसी भी क्षैत्र में डूबेगा नहीं। यह उनका आशीर्वाद ही है कि मुझे संघर्ष करना आ गया।
डायरी के उस पन्ने को पढ़कर चचाजी के चेहरे पर गर्व मिश्रित मुस्कान आ गयी और उन्होंने दिनेश को गले से लगा लिया ठीक उसी तरह जैसे बचपन में उसके कुछ गलती करने पर समझाने के बाद लगाते थे।
परिचय :- दिलीप कुमार पोरवाल “दीप”
पिता :- श्री रामचन्द्र पोरवाल
माता :- श्रीमती कमला पोरवाल
निवासी :- जावरा म.प्र.
जन्म एवं जन्म स्थान :- ०१.०३.१९६२ जावरा
शिक्षा :- एम कॉम
व्यवसाय :- भारत संचार निगम लिमिटेड
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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