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आंख के हर आंसू की, अपनी एक अलग कहानी है

हंसराज गुप्ता
जयपुर
(राजस्थान)
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गीता रामायण वेद महावीर,
गुरु ग्रंथ कबीर की वाणी है,
खोना पाना आना जाना,
यह जीवन बहता पानी है,
संग रहने, सुख दुख सहने की,
कहने की रीत पुरानी है,
आंख के हर आंसू की,
अपनी एक अलग कहानी है !१!

हार जीत खुशी आघात प्रीत,
जो शब्द नहीं कह पाते हैं,
भाव भरे निज आंखों से,
गिरते आंसू कह जाते हैं,
टप टप गिरते आंसू ही,
उस पल की अमिट निशानी है,
आंख के हर आंसू की,
अपनी एक अलग कहानी है !२!

बिना मां के बच्चों की व्यथा,
कितनी मायें बन जाती हैं,
सौतेली मां चाची ताई,
मौके पर काम ना आती हैं,
सब जानते हो तुम श्याम प्रभु,
क्या छुपी है, जो समझानी है,
आंख के हर आंसू की,
अपनी एक अलग कहानी है !३!

भूखे मां-बाप का दर्द नहीं,
वे भोजन बांटने जाते हैं,
माँ के दूध की शर्म नहीं,
कुत्ते बिल्ली को दूध पिलाते हैं,
अपमान पी आशीष दें जो,
वे मांगें मौत सुहानी हैं,
आंख के हर आंसू की,
अपनी एक अलग कहानी है !४!

मोहक बाल क्रीड़ा में,
मनुहार और हीडा में,
मां-बाप की उस पीड़ा में,
दोष और धमीडा में,
रोती छुपकर कोने में,
वह ममता की महारानी है
आंख के हर आंसू की,
अपनी एक अलग कहानी है !५!

जो सपनों में ही उड़ते हैं,
गिरते नहीं संभलते हैं,
दो प्रेमी रिश्तो में जुड़ते हैं,
मिल कहीं पुनः बिछुड़ते हैं,
जब खेल रहे बरखा सावन,
आंगन में तीज सयानी है|
आंख के हर आंसू की,
अपनी एक अलग कहानी है !६!

जीवन के उतार-चढ़ाव,
दर्द के हों गहरे घाव,
खुशियों के छलकते भाव,
टूटे हृदय, शब्द अभाव,
आती-जाती धूप छांव में,
बोले कोई तीखी वाणी है,
आंख के हर आंसू की,
अपनी एक अलग कहानी है !७!

भूखे बच्चे नींद दिलाई हो,
असहाय वृद्ध अंगड़ाई हो,
बेटी की कोई विदाई हो,
कहीं सूनी गोद कलाई हो,
नहीं आते हंसी ठिठोली की,
संग उनके एक रात बितानी है,
आंख के हर आंसू की,
अपनी एक अलग कहानी है !८!

कहीं चुभता अपना ही कांटा,
भाई के भाई का चाँटा,
निज खरा रुख जड़ से काटा,
फिर माल अंगूरों ने बांटा,
तब फूटे ज्वाला खून उबलता,
कहीं छल कपट बेईमानी है,
आंख के हर आंसू की,
अपनी एक अलग कहानी है !९!

शुर्पनखा ताड़का का इतिहास,
खिलजी मुगलों का परिहास,
पिघला अशोक करुणामय श्वास,
धन्य प्रताप रोटी वह घास,
भरथरी, विक्रम को देश निकाला,
पिंगला की आंख का पानी है,
आंख के हर आंसू की,
अपनी एक अलग कहानी है !१०!

परपीड़ा संवेदन, करुणा चितवन में,
क्रांतिनाद हो नील गगन में,
प्रेम प्यार की अगन हो मन में,
अँसुवन प्रभु की गहन लगन में,
जहाँ मानवता है, देश प्रेम,
भावों से भरी जवानी है,
आंख के हर आंसू की,
अपनी एक अलग कहानी है !११!

परिचय :-  हंसराज गुप्ता, लेखाधिकारी, जयपुर
निवासी : अजीतगढ़ (सीकर) राजस्थान
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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