
रुचिता नीमा
इंदौर म.प्र.
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कहने को तो सब अपने हैं,
लेकिन अपना है कौन?
इस झूठ, फरेब की दुनिया में,
लेकिन सच्चा है कौन?
हमदर्द तो बहुतेरे है तेरे
लेकिन जो दर्द को कम कर सके, वो है कौन?
मुँह पर मीठे, पीछे बुरा कहते
ऐसे तेरे अपने, ये तेरे अपने हैं कौन?
जो तेरे दुख में बाहर रोते और भीतर मुस्कुराते,
और तेरी खुशी देख कुड़कूड़ाते, ये तेरे ख़ास हैं कौन?
ये सब कहने को तो तेरे अपने हैं,,
लेकिन अपना है कौन?
इस रँगबदलती दुनिया मे,
कोई बेरंग सा, साफ दिल वाला है कौन?
मत उम्मीद कर इन सबसे तू,
इन सबको छोड़कर, बस खुद को देख
कि तू है कौन?
कहि इन्हीं में से एक तो नहीं?
परिचय :- रुचिता नीमा जन्म २ जुलाई १९८२ आप एक कुशल ग्रहणी हैं, कविता लेखन व सोशल वर्क में आपकी गहरी रूचि है आपने जूलॉजी में एम.एस.सी., मइक्रोबॉयोलॉजी में बी.एस.सी. व इग्नू से बी.एड. किया है आप इंदौर निवासी हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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