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कहानी… मेरे पापा की

संजय जैन
मुंबई
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पापा जी के चरणों में
अपना शीश झूकता हूँ।
उनके त्याग बलिदान को
अपने बच्चो को सुनता हूँ।
ऐसे पापाजी के चरणों में
अपना शीश झूकता हूँ…।।

जन्म लिया उन्होंने ने
बड़े जमींदार के घर में।
बड़े बेटे बनकर उन्होंने
निभाया अपना कर्तव्य।
यश आराम से जिंदगी
जी रहे थे परिवार के सब।
भगवान की कृपा दृष्टि से
सब अच्छा चल रहा था।।
और भाई बहिन माता पिता का
प्रेम बरस रहा था।
ऐसे पापा जी के चरणों में
अपना शीश झूकता हूँ…।।

भाई बहिन के प्रेम में
वो ऐसे रहे थे।
उन्हें उनके अलावा
कुछ और नहीं दिखता था।
भाई बहिन पर वो अपनी
जान नीछावर करते थे।
ऐसे पापाजी के चरणों में
अपना शीश झूकता हूँ…।।

पर समय परिवर्तन ने
कुछ ऐसा कर दिखाया।
भाई-बहिन और पिता ने
मुँह मोड़ लिया बेटे से।
कल तक जो सबको
बहुत प्यारे भाई लगते थे।
अब वो ही सब की
आँखो में खटकने लगे।
२६ सालों के साथ रहने का
अब अंत हो गया।।

होकर अलग अपने
भाई-बहिन और पिता से।
अगल संसार फिर से
पापाजी ने बसा लिया।
और जीवन की नई शुरुआत
पत्नी बच्चो के साथ किये।
अपनी मेहनत और लगन
और मम्मी के धर्म ध्यान ने
अपने परिवार को संभाला।
और नई दिशा देकर अपने
बच्चों को लायक बना दिया।
और बच्चों ने भी कुछ
अलग करके दिखा दिया।
ऐसे पापाजी के चरणों में
अपना शीश झूकता हूँ…।।

उम्र के जिस पड़ाव पर
उन्हें आराम चाहिए था।
वहा रात-रात भर जागकर
कुछ ऐसा कार्य किया।
जिससे उनका परिवार
फिर से संभाल गया।
और संसार की दौड़ में
फिर से वापिस आ गया।
तब संसारी रिश्तों ने
पुन: चापलूसी शुरू कर दी।
और समय ने एक बार फिर से
अपनी करवट बदल ली।
और सुख समृध्दि के
दिन फिरसे लौटा दिये।
ऐसे कर्मठ और लगनशील
पापा जी के चरणों में
अपना शीश झूकता हूँ…।।

अब हाल बहुत निराला है
सबका झुकाव यहाँ पर है।
कल तक के उन लोगों का
अब हाल बहुत अलग है।
और भैया के बेटो ने
कुछ ऐसा करके दिखाया है।
जिस से पापा का सिर
गर्व से ऊँचा उठा गया।
पर ये सब देखने के लिए
अब वो हमारे बीच नहीं रहे।
जब सुख के दिन आये
तब छोड़कर पापा जी।
हम सब से दूर चले गये।
और हम सब को छोड़कर
मायावी संसार से चले गये।।
ऐसे पापाजी के चरणों में
हम अपना शीश झुकाते है।।

परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ-साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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