Friday, November 22राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

समाज की धुरी

मालती खलतकर
इंदौर (मध्य प्रदेश)
********************

वह झुकती है हरदम झुकती है
कहीं कचरा विनती कहीं गोबर व टोरती
कहीं लकड़ी छिलती कहीं लकड़ी उठाती
कहीं घन चलाती कहीं शिशु पीठ पर बांध थी
वह झुकती है तो सभी उसे और झुकाने
अवसर ढूंढते हैं
वह झुकती है क्योंकि वह नारी है
उसे संज्ञा अबला की है
वह अक्सर दिखती आंखों में आंसू लिए
आंचल में शिशू ढाके सिर पर बोझ लिए
वह जाती दिखाई देती है खेतों नदियों किनारे
पगडंडी पर शराबियों से खुद को बचाती
वह झुकती है झूला झूलते टोकनी उठाते
उपले थापती वह झुकती कमान कि तरह
ऊपर उठ पुनः तार-तार होने के लिए
पुनः धरा पर जाने की हिम्मत जुटाने के लिए
वह है झुकती है समाज परिवार के लिए
क्योंकि वह जानती है वह झुकेगी
तो परिवार समाज झुकेगा सुदृढ बनेगा
कहीं सहारा कंधे का कहीं लकड़ी का
कहीं चौखट पर चंडी बनकर खड़ी
मैंने उसे देखा है आंखों में डर लिए
अपने आप को छुपाते हुए
दीवार दीवार की ओट से झांक ते हुए
जलभरी मटकी गिरते-गिराते
गायों के पीछे चिथड़े पहने भ गते
कही गुनगुनाते कही आम बैर तोडते
उसे एहसास कहां वर्षा गर्मी का
वह तो सिर्फ लीक पर चलना जानती है
जानती है वह समाज की धुरी बनेगी
समाज बदलेगा परिवार बदलेगा
वह बदलना जानती है वह नारी शक्ति है

परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ीआप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से जुड़ी हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *