Monday, November 25राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

किसान

डॉ. भगवान सहाय मीना
जयपुर, (राजस्थान)
********************

भूमि पुत्र के छालों से सजे हाथ देख लेते।
कृषि बिल से पूर्व कूछ कृषक से पूछ लेते।
जन्म मां ने दिया पोषण अन्नदाता ने किया,
कुलिस कर्म उस हलधर को पहचान लेते।
रोती जिसकी खुशियां सूदखोर की चौखट पर,
सदियों से मौन सह रहा संताप उसे जान लेते।
गरीबी, भूखमरी, कष्ट-कसक ही परिजन,
वेदना अंतहीन श्रमरत हलवाह देख लेते।
कंटकाकीर्ण पथ पर बेचता आशाओं को,
तन हड्डियों की गठरी कृषिजीवी जान लेते।
तलाश करता सुकुन धरा चीरकर जो,
कर्म के रथ पर आरूढ़ हो आह! सह लेते।
अच्छे दिन की आस में बनाकर सरकार तुम्हारी,
महाजन की बही में अंगुठा गिरवी रख देते।
श्रमसाधक चित्रकार जो सबकी जिंदगी का,
अन्नदाता धरती का रखवाला पहचान लेते।

परिचय :- डॉ. भगवान सहाय मीना (वरिष्ठ अध्यापक राजस्थान सरकार)
निवासी : बाड़ा पदम पुरा, जयपुर, राजस्थान
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें….🙏🏻

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *