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मेरे प्यार का फ़लसफ़ा

प्रियंका पाराशर
भीलवाडा (राजस्थान)
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कुछ ऐसा है मेरे प्यार का फ़लसफ़ा
खुश रहूँ तुझसे या खफ़ा
हर पल तेरा इंतज़ार रहता है
दिल का दरिया इक तेरे लिए ही तो बहता है
लागी तुझ संग ऐसी प्रीत
कि न हार सकूँ न जीत
बस दिल निभाएँ प्यार की रीत
गुनगुनाऊँ तुझ संग प्रणय गीत
मन की बात जानने वाले ओ मेरे मन मीत
तेरे साथ चलते-चलते यूँ ही जाएँ पूरी उम्र बीत
तेरे आने की आहटे करती हूँ महसूस
न आओ नजर के सामने तो रहूँ मायूस
बनना चाहूँ तेरी हमराज़ ना कि जासूस
रूठने पर तेरे मनाने का अथक प्रयास
वादा रहा तुझसे, ना ना करते भी मान जाऊँगी हर दफ़ा
कुछ ऐसा है मेरे प्यार का फ़लसफ़ा
प्यार भरी है नोकझोंक
वाद-विवाद में तेरे संग उलझने का है शौक
मैं जब भी करूँ प्यार का इज़हार
हमारे बीच बस यही तकरार
दावा करते हो तुम हर बार
करता हूँ प्यार, तू करे मुझसे प्यार जिससे ज्यादा
जीवन हो तेरा सुकून भरा, खुद पर ले लूँ तेरी हर बाधा
पर मैं ज्यादा कम कुछ ना जानूँ
तुझे बस अपनी पूरी दुनिया मानूँ
हारी हूँ जब जब भी बस तब तुझ पर रखा है विश्वास
दिल माँगे यही दुआ कि कोई कष्ट ना आए तेरे पास
तुम मानो या ना मानो
चाहे जो भी जानो
तेरी उलझनों की कशमकश से भली-भाँति हूँ वाकिफ़
तभी तो तेरे लिए दिल में है सम्मान और तारीफ
जो समझा न पाए जुबां
तो आँखें दिल की बनकर जुबां
कर देती हर हालात बयां
मेरे शब्दों की बजाय मेरी आँखों से पढ़कर मुझे पहचान
यह ज़िंदगानी बस तुमसे है, तुम ही हो मेरी जान
न सह पाऊँगी कभी, होना तेरा मुझसे खफ़ा
मरते दम तक निभाऊँगी, मैं तो तुझ से वफ़ा
कुछ ऐसा है मेरे प्यार का फ़लसफ़ा

परिचय :- प्रियंका पाराशर
शिक्षा : एम.एस.सी (सूचना प्रौद्योगिकी)
पिता : राजेन्द्र पाराशर
पति : पंकज पाराशर
निवासी : भीलवाडा (राजस्थान)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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