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वर्षों बीत गए

आनन्द कुमार “आनन्दम्”
कुशहर, शिवहर, (बिहार)

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वर्षों बीत गए
तुम्हारी याद में
डूबती नैना
उमरता हृदय
भावुक मन लिये।

कहाँ जाऊँ?
किसको सुनाऊँ?
मन का विरहा
मन को सुनाऊँ।

चहुँ ओर अँधेरा फैल रहा
मन के प्रकाश पुंज में
भाव विभोर हो रहा
मन आँगन के कोने में।

वर्षों बीत गए
तुम्हारी याद में
डूबती नैना
उमरता हृदय
भावुक मन लिये।

परिचय :- आनन्द कुमार “आनन्दम्”
निवासी : कुशहर, शिवहर, (बिहार)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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