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किसान

सपना
दिल्ली
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अन्नदाता ख़ुद  होकर
पानी पीकर भूख मिटाएँ
जग को भूखा न सोने दें
अन्नदाता किसान कहाएँ……
आँधी हो चाहे तूफ़ान
चिलमिलाती धूप हो
ठण्ड से निकलती जान
मेहनत से  नहीं घबराते
करते फसलों की देखभाल
प्यारी संतान  समान…….

दुनिया  न सोये भूखी
उसके लिए न जाने
गुजारते कितनी रातें
बिना सोये
परिवार से पहले
देश की चिंता इन्हें छोहे…..
कहने को तो संविधान
हमारा सबसे प्यारा
सबको मिलता समान
अधिकार इसके द्वारा
आज क्यों किसान हमारा
सड़क़ों पर उतरा सारा
फिर भी उन्हें न्याय
नहीं मिल पा रहा …
कब जीतेगा
वह जो कभी न हारा।

परिचय :- सपना
पिता- बान गंगा नेगी
माता- लता कुमारी
शैक्षणिक योग्यता- एम.ए.(हिंदी), सेट, नेट, जेआर. एफ. अनुवाद में डिप्लोमा ( अंग्रेज़ी से हिंदी), पी.एचडी. (ज़ारी)
साहित्यिक उपलब्धियां- १५ से अधिक राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में सहभागिता तथा प्रपत्र वाचन एवं विभिन्न पत्रिकाओं/ संपादित पुस्तकों में विभिन्न विषयों पर शोधालेख प्रकाशित। साथ ही साहित्य सिनेमा सेतु वेबसाइट पर कुछ कविताओं का प्रकाशन।
निवासी- दिल्ली
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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