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मकर सक्रांति

रश्मि श्रीवास्तव “सुकून”
पदमनाभपुर दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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सूर्य के उत्तरायण का पर्व
जिस पर सब करते हैं गर्व
जैसे आता मकर-संक्रांति
जीवन में लाता है कान्ति
गुड़ और चाशनी की खुशबू
रिश्तों में मिठास हुबहू
खलबट्टे मे कुटे तिल
बिना कहे छू जाते दिल
सुबह सुबह का वह पवित्र स्नान
सूर्य को अर्ध्य देकर करना दान
गरम गरम वो घी और खिचड़ी
जैसे छप्पन भोग पर भारी पड़ी
कहीं इठलाति कही बलखाती
कही डालियों में उलझती
नीले पीले हरे नारंगी
लाल गुलाबी रंग बिरंगी
उड़ती है चहुँ ओर पतंग
इंद्रधनुषी है जिसके रंग
चलो एक ऐसी पतंग बनाये
जो आसमान की सैर कराये

परिचय : रश्मि श्रीवास्तव “सुकून”
निवासी : मुक्तनगर, पदमनाभपुर दुर्ग (छत्तीसगढ़)
घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करती हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है।


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