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अगर मैं फौजी होता

कालूराम अर्जुन सिंह अहिरवार
ग्राम जगमेरी तह. बैरसिया (भोपाल)

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काश मैं कवि होता,
तो हिंदुस्तान पे, कविताऐ लुटा देता !

अगर मैं फौजी होता ,
वतन के लिए जान लुटा देता !

काश मैं गुलाब होता,
तो वतन के लिए अपनी खुशबू लुटा देता !

काश मैं वृक्ष होता तो
वतन के लिए अपनी छाँव लुटा देता !

काश में सूर्य होता,
तो वतन के लिए अपनी रोशनी लुटा देता !

काश मैं कवि होता तो
वतन पर अपनी कविताऐ लुटा देता !

काश में फौजी होता,
तो वतन के लिए जान लुटा देता !!

परिचय :- कालूराम अर्जुन सिंह अहिरवार
पिता : जालम सिंह अहिरवार
निवासी : ग्राम जगमेरी तह. बैरसिया जिला भोपाल
शिक्षा : एम.ए. हिंदी साहित्य शासकीय हमीदिया कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय भोपाल अध्ययनरत राष्ट्रीय सेवा योजना एन.एस.एस. स्वयंसेवक, सामाजिक कार्यकर्ता
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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