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‘रजनी’ के सप्तवार के दोहे

रजनी गुप्ता ‘पूनम चंद्रिका’
लखनऊ
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रविवार
असुरारी अमरेश हरि, दिनकर रवि आदित्य।
अरुण सदृश ले सारथी, प्रातः आते नित्य।।

सोमवार
ध्यान करे शिव नाम का, सोम दिवस जो भक्त।
ओंकारा के जाप में, रहे भाव अभिव्यक्त।।

मंगलवार
संकट काटो हे प्रभो, मंगल मति संधान।
शरण तुम्हारे आ पड़ी, रामभक्त हनुमान।।

बुधवार
बुद्धिप्रवर बुधवासरः, पूजूँ गणपति देव।
मंगलछवि शुभदायकः, जपता उर अतएव।।

गुरुवार
गुरुवासर की रीति यह, जप लो गुरु का नाम।।
संग विराजें हर घड़ी, नारायण उरधाम ।।

शुक्रवार
ध्यान रहे माँ-शक्ति पर, बाँधो वंदनवार।
शुक्रवार की शुभ घड़ी, आई चल कर द्वार।।

शनिवार
नीलवर्ण घनरूप शनि, सुंदर पावन भव्य।
भानुपुत्र सर्वेश घन, दाता अतुलित द्रव्य।।

परिचय : रजनी गुप्ता ‘पूनम चंद्रिका’
उपनाम :- ‘चंद्रिका’
पिता :- श्री रामचंद्र गुप्ता
माता – श्रीमती रामदुलारी गुप्ता
पति :- श्री संजय गुप्ता
जन्मतिथि व निवास स्थान :- १६ जुलाई १९६७, तहज़ीब व नवाबों का शहर लखनऊ की सरज़मीं
शिक्षा :- एम.ए.- (राजनीति शास्त्र) बीएड
व्यवसाय :- गृहणी
प्रकाशन :- राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर म.प्र. के  hindirakshak.com पर रचना प्रकाशन के साथ ही कतिपय पत्रिकाओं में कुछ रचनाओं का प्रकाशन हुआ है
सम्मान :- समूहों द्वारा विजेता घोषित किया जाता रहा है। दो बार नागरिक अभिनंदन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। मंचों पर काव्य-पाठ व लघुकथा का पाठन करती रहती हूँ। सांस्कृतिक एवं सामाजिक योगदान हेतु सम्मान-पत्र प्रदान किया गया है। विद्यालय के समय भी अनेक पुरस्कार मिले हैं।
रचना की विधा :- अधिकतर दोहा सृजन, छंदमुक्त कविताएँ, मुक्तक, दोहा, गजल, छंद, हाइकु दोहा, गीत, गीतिका, लघुकथा, संस्मरण आदि….
घोषणा पत्र :- मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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