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स्वंय को जाने

संजय जैन
मुंबई

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तन की खूबसूरती
एक भ्रम है..!
जो इंसान को घमंडी
बना देता है।
मन की खूबसूरती ही
असली सुंदरता है।
जो दिलको शांत और
मनको व्यवहारिक बनता है।
सब से खूबसूरत तो
आपकी “वाणी” है..!
जो चाहे तो दिल जीत ले..
या चाहे तो दिल चीर दे !!
वाणी की मधुरता से
गैर अपने हो जाते है।
और आपकी दिलसे
तरीफ करते है।
इन्सान सब कुछ
कॉपी कर सकता है..!
लेकिन अपनी किस्मत
और नसीब को नही..!
यदि कर्म अच्छे करोगें
तो फल अच्छा मिलेगा।
भले श्रेय मिले न मिले,
पर श्रेष्ठ देना बंद न करें।
आपकी सेवा भक्ति
एकदिन रंग लायेगी।
तब लोगो की जुबा पर
तुम्हारा ही नाम रहेगा।
कुछ आपके आलोचक
तो कुछ प्रसंशक होंगे।
जो समाज में आपको
शांति से नहीं रहने देंगे।
रखेंगे स्वंय अपना ख़याल
तो आपका हरपल शुभ होगा।
आपके कर्मो से ही
मुक्ति का मार्ग प्रसव होगा।

परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ-साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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