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विनती

डॉ. पंकजवासिनी
पटना (बिहार)

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ओ नववर्ष!
है तुझसे ये इल्तिजा…
करना तुम ये दिल से दुआएँ :

नववर्ष में समूल मिटे कोरोना!
मिले सबको हर्ष अपार!!
मिटें सारे कल्मष-तम-अंधकार!
मिटें सबके क्लेश दुख औ मनोविकार!!
और हो सबका सर्वतोभावेन उत्कर्ष!!!

सूखे पपराते होठों पर भी
आए मुस्कान औ तरावट!
दुखियों और गरीबों की झोली भी
भरी हो खुशियों के खनकते सिक्कों से!!

धानी संग पिया बिताए कुछ जज्बाती पल!
दिनभर टकटकी लगाए बूढ़े मांँ-बाप संग…
गुजारे बेटे-बहुएंँ कुछ खुशनुमा लम्हें!!
आदमी का आदमी पर बढता जाए विश्वास!
न तोड़े कोई पीड़ितों के मन की सुख-आस!
भोली आंँखों से कोई छीन न ले पावन-उजास!!

महामारी के वैश्विक घोंसले सारे जाएँ उजड़…
अनैतिकता औ घृणा सब मन के जाएँ समूल उखड़…
मिटे चहुँओर फैली हिंसा-प्रतिहिंसा …
मिटे दुर्भावना व्यभिचार का हर मनसूबा!

हिलें छल-वैमनस्य की सब चूलें!
ईर्ष्या-प्रतिकार को हम सब भूलें!!
परस्पर सौहार्द्र औ सहिष्णुता बढ़े… !!!
हर तबका नित प्रगति की सीढ़ियाँ चढें…!!!

करुणा, परोपकार, मैत्री व प्रेम की बोएंँ बेलें…
स्नेह और आत्मीयता से सब गले मिलें!!
सकारात्मक सोच की सब ओर रौशनी फैले!

सीखें संयम और नैतिकता…
करें एक दूजे का सम्मान!
सूनी राहों और अंधेरी रातों में भी…
चलें इंसान निश्शंक औ स्त्रियाँ बेखौफ!!
रहें हम मर्यादा संयम से और स्त्रियाँ रहें सुरक्षित:
सड़कों पर भी… घर में भी…
और कोख में भी….!!
बस ऐसा हो हर दिन नववर्ष का!!!

परिचय : डॉ. पंकजवासिनी
सम्प्रति : असिस्टेंट प्रोफेसर भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय
निवासी : पटना (बिहार)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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