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नया साल

रूपेश कुमार
(चैनपुर बिहार)

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बीत गया जो पल उसे भूल जाते है,
आने वाले कल का जश्न मनाते है,

अरमान है दिल मे पुड़ी और मीठाई का,
पर सुखी रोटी पर संतोष कीए जाते है,

मिले खुशबू बेली और चमेली का,
पर रजनीगंधा की ओर बढे जाते है,

हम जानते है प्रेम एक मर्ज हुआ करता है,
फिर देवदास की तरह शराब पिये जाते है,

कुछ गलतिया हम जानकर ही करते है,
फिर भी गलतियो पे पश्चाप कीये जाते है,

हम आशा और उम्मीद पर समाज बदलते है,
पर देखते ही सबकुछ बदल जाते है,

कल रो रहे थे ‘रूपेश’ गुजरे हूए ज़माने पर,
आज नववर्ष पर उल्लास मनाये जाते है !

परिचय :- रूपेश कुमार
शिक्षा – स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डीपलोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी !
निवास – चैनपुर, सीवान बिहार
सचिव – राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान
प्रकाशित पुस्तक – मेरी कलम रो रही है
सम्मान : कुछ सहित्यिक संस्थान से सम्मान प्राप्त !
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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