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प्रकृति के त्रैमासिक ‘नूतन वर्ष’

अर्चना “अनुपम क्रान्ति”
जबलपुर मध्यप्रदेश

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दे भेंट धरा पर दिव्य गगन
चहुँओर छत्र बिखराता है।
जैसे अवनि में स्वयं उतर
नववर्ष मनाने आता है।।

नटखट खग छोड़ देश अपना
यहां कलरव गान सुनाते हैं।
और घास-पात की ओसों से
करतब कर खुशी जताते हैं।।

इस धुँध में भी मकरंद पुष्प
की हो सुगंध भीनी भीनी।
वाह सुबह खिले जब धूप; ताप
सुखमय प्रकृति धीमी-धीमी।।

सरसों के पियरे बलखाकर
नृत्य जता कुछ कहते हैं।
आलिंगन गेहूँ की बाली का कर
बधाई संग रहते हैं।।

और चने मटर की छीमी की उस
नोक-झोक के क्या कहने।
गेंदा गुलाब और सुमन कई
अवतरित हुये जिम संग रहने।।

हम भी ऐसे ही मिलजुलकर
खुशियाँ हरएक मनायेंगे ।
इन मूक जीव अथ प्रकृति के
नियमों को सतत् निभायेंगे।।

है धन्य धरा यह भारत की
जहाँ हर मौसम खिल जाते हैं।
एक नहीं यहाँ त्रैमासिक;
नूतन वर्ष सदा सुख लाते हैं।।

परिचय :- अर्चना पाण्डेय गौतम
साहित्यिक उपनाम – अर्चना “अनुपम क्रान्ति”
मूल निवासी – जिला कटनी, मध्य प्रदेश
वर्तमान निवास – जबलपुर मध्यप्रदेश
पद – स.उ.नि.(अ),
पदस्थ – पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय जबलपुर जोन जबलपुर, मध्य प्रदेश
शिक्षा – समाजशास्त्र विषय से स्नात्कोत्तर
सम्मान – जे.एम.डी. पब्लिकेशन द्वारा काव्य स्मृति सम्मान, विश्व हिन्दी लेखिका मंच द्वारा नारी चेतना की आवाज, श्रेष्ठ कवियित्री सम्मान, लक्ष्मी बाई मेमोरियल अवार्ड, एक्सीलेंट लेडी अवार्ड, विश्व हिन्दी रचनाकार मंच द्वारा – अटल काव्य स्मृति सम्मान, शहीद रत्न सम्मान, मोमसप्रेस्सो हिन्दी लेखक सम्मान २०१९..
विधा – गद्य पद्य दोनों..
पुरस्कार : १४ सितम्बर २०२० हिन्दी दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच (hindirakshak.com) इंदौर मध्य प्रदेश द्वारा अखिल भारतीय कविता सृजन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त।

भाषा – संस्कृत, हिन्दी भाषा की बुन्देली, बघेली, बृज, अवधि, भोजपुरी में समस्त रस-छंद अलंकार, नज़्म एवं ग़ज़ल हेतु उर्दू फ़ारसी भाषा के शब्द संयोजन।
विशेष – स्वरचित रचना विचारों हेतु विभाग उत्तरदायी नहीँ है.. इनका संबंध स्वउपजित एवं व्यक्तिगत है।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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