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भाई की डांट

आशीष तिवारी “निर्मल”
रीवा मध्यप्रदेश

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आनंद तब से अपने बड़े भाई राजीव को जोर-जोर से डांटे जा रहा था। आनंद का कहना था- कि तुम घर से बाहर मत जाया करो। आसपास मुहल्ले के लोगों से बोलचाल मत रखो। तुम्हारी सहजता, सरलता, मृदुभाषिता के चलते लोग तुम्हारी कोई इज्जत नहीं करते। तुम सबसे प्रणाम, दुआ, सलाम करते रहते हो तो लोग तुम को हल्के से लेते हैं। हर किसी से हंसकर मुस्करा कर बात मत किया करो। लोगों की नजरों में तुम्हारी कोई अहमियत नहीं है। कोई कुछ भी काम कह दे तो फौरन कर देते हो। लोगों को समय देते हो यह सब पूरी तरह बंद करो। गंभीर बनो, लोगों से बातचीत नहीं करो। घमंडी दिखो, स्वभाव से स़ख्त रहो तब लोग इज्जत देंगे सम्मान देंगे तुम्हारी अहमियत समझेंगे। राजीव जो इतनी देर से सब ख़ामोश होकर सुन रहा था अचानक उसने ख़ामोशी तोड़ते हुए कहा कि तुम मेरे छोटे भाई होकर जब मुझे सम्मान नहीं देते। मेरी कद्र नहीं करते। मेरी अहमियत नहीं समझते। फिर तुम दुनिया से यह अपेक्षा मेरे लिए क्यों पालते हो। पहले तुम सीखो बड़े भाई को सम्मान देना उसकी अहमियत समझना। इतना सुनते ही आनंद जो बड़ी देर से राजीव को तुम-तुम कहकर बात कर रहा था एकदम से चुप हो गया और ये बात आनंद को तीर सी चुभी और घर में सन्नाटा पसर गया। वहीं राजीव की आंखों में आसूं थे कि सचमुच सरल होकर जीना भी कितना मुश्किल है ज़माने में।

परिचय :- आशीष तिवारी निर्मल का जन्म मध्य प्रदेश के रीवा जिले के लालगांव कस्बे में सितंबर १९९० में हुआ। बचपन से ही ठहाके लगवा देने की सरल शैली व हिंदी और लोकभाषा बघेली पर लेखन करने की प्रबल इच्छाशक्ति ने आपको अल्प समय में ही कवि सम्मेलन मंच, आकाशवाणी, पत्र-पत्रिका व दूरदर्शन तक पहुँचा दीया। कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित युवा कवि आशीष तिवारी निर्मल वर्तमान समय में कवि सम्मेलन मंचों व लेखन में बेहद सक्रिय हैं, अपनी हास्य एवं व्यंग्य लेखन की वजह से लोकप्रिय हुए युवा कवि आशीष तिवारी निर्मल की रचनाओं में समाजिक विसंगतियों के साथ ही मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण, भारतीय ग्राम्य जीवन की झलक भी स्पष्ट झलकती है, इनकी रचनाओं का प्रकाशन एवं प्रसारण विविध पत्र-पत्रिकाओं एवं दूरदर्शन-आकाशवाणी के विविध केंद्रों से निरंतर हो रहा है। वर्तमान समय पर हिंदी और बघेली के प्रचार-प्रसार में जुटे हुए हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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