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कुण्डलियाँ छंद

रजनी गुप्ता “पूनम”
लखनऊ

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कुण्डलियाँ/दिठौना

लगा दिठौना माँ मुझे, ले जातीं बाजार।
और दिलातीं हैं वहाँ, चुनरी गोटेदार।।
चुनरी गोटेदार, खिलातीं रबड़ी हलुवा।
ललचाते हैं देख, मुरारी मोटू कलुवा।।
बोलीं वह पुचकार, खरीदो एक खिलौना।
माता का यह लाड़, सहेजूँ लगा दिठौना।।

लगा दिठौना देख कर, करते सब उपहास।
बोल रहे हैं सब मुझे, मत आना तुम पास।।
मत आना तुम पास, न कोई रंगत गोरी।
मोटा- सा है गात, सभी करते बरजोरी।।
सुन कर मेरी बात, उतारें माँ धड़कौना।
लिया बलैयाँ खूब, दुबारा लगा दिठौना।।

कुण्डलियाँ/पैसा

पैसे दो अम्मा मुझे, जाऊँगी बाजार।
लेने गुड़िया के लिये, लहँगा गोटेदार।।
लहँगा गोटेदार, सितारे सलमा वाला।
चुनरी होगी लाल, गले की लूँगी माला।।
गजरा लाऊँ श्वेत, सजेगी चोटी ऐसे।
जैसे चंदा रात, मुझे दो अम्मा पैसे।।

पैसे के बल पर बसे, बेटी का संसार।
आँखों में सपने लिये, बाप खड़ा लाचार।।
बाप खड़ा लाचार, गरीबी का वह मारा।
हँसता कुटिल समाज, दिखे है दूर किनारा।।
होंगे पीले हाथ, सुता के अब तो कैसे?
माँगें सभी दहेज, कहाँ से लाए पैसे?

परिचय : रजनी गुप्ता ‘पूनम’
उपनाम :- ‘चंद्रिका’
पिता :- श्री रामचंद्र गुप्ता
माता – श्रीमती रामदुलारी गुप्ता
पति :- श्री संजय गुप्ता
जन्मतिथि व निवास स्थान :- १६ जुलाई १९६७, तहज़ीब व नवाबों का शहर लखनऊ की सरज़मीं
शिक्षा :- एम.ए.- (राजनीति शास्त्र) बीएड
व्यवसाय :- गृहणी
प्रकाशन :- राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर म.प्र. के  hindirakshak.com पर रचना प्रकाशन के साथ ही कतिपय पत्रिकाओं में कुछ रचनाओं का प्रकाशन हुआ है
सम्मान :- समूहों द्वारा विजेता घोषित किया जाता रहा है। दो बार नागरिक अभिनंदन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। मंचों पर काव्य-पाठ व लघुकथा का पाठन करती रहती हूँ। सांस्कृतिक एवं सामाजिक योगदान हेतु सम्मान-पत्र प्रदान किया गया है। विद्यालय के समय भी अनेक पुरस्कार मिले हैं।
रचना की विधा :- अधिकतर दोहा सृजन, छंदमुक्त कविताएँ, मुक्तक, दोहा, गजल, छंद, हाइकु दोहा, गीत, गीतिका, लघुकथा, संस्मरण आदि….
घोषणा पत्र :- मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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